वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का इंतजार हो सकता है लंबा, पेंट्री-टॉयलट ने करा दिया लेट
वंदे भारत ट्रेन के स्लीपर कोच को लेकर बड़ा अपडेट आया है. स्लीपर कोच को बनाने वाली कंपनी ने बताया है कि भारतीय रेलवे ने ट्रेन की डिजाइन को लेकर कुछ बदलाव किए हैं. उसी बदलाव के कारण वंदे भारत स्लीपर को पटरी पर आने में देरी हो सकती है.
वंदे भारत के स्लीपर वर्जन को लॉन्च करने की बात हो रही थी. पिछले दिनों ट्रेन के स्लीपर कंपार्टमेंट की कुछ तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. लेकिन यात्रियों को अभी तस्वीर से ही काम चलाना होगा क्योंकि वंदे भारत को आने में अभी और वक्त लग सकता है.
वंदे भारत को आने में क्यों होगी देरी?
भारतीय रेलवे ने पांच साल पहले वंदे भारत ट्रेन को पटरी पर उतारा था. वंदे भारत लाने के पीछे मुख्य कारण यात्रा में लगने वाले समय को कम करना और सुविधाजनक बनाना था. उसी तर्ज पर वंदे भारत स्लीपर कोच वाले ट्रेनों की भी अगले साल आने की बात हो रही थी. लेकिन स्लीपर कोच वाले ट्रेन को लेकर रेलवे चाहता है कि उसमें टॉयलेट की संख्या अधिक हो साथ ही इसमें लगेज जोन और पेंट्री कार हो. रेलवे का कहना है कि ज्यादा जगह होने से यात्रियों को काफी सुविधा मिलेगी.
इस कंपनी के साथ है एग्रीमेंट
14 महीने पहले स्लीपर कोच के निर्माण को लेकर इंडो-रशियन ज्वाइंट वेंचर (JV) के बीच एग्रीमेंट हो चुका है. लोकोमोटिव और रेल के सामानों को लेकर ट्रांसमैशहोल्डिंग (TMH) रूस का एक बड़ा मैन्युफैक्चरर है वहीं ग्लोबल स्तर पर नए स्टॉक के मामले में पांचवां सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर है.
देरी से क्या पड़ेगा प्रभाव?
TMH के पास 1,920 वंदे भारत स्लीपर कोचों के निर्माण की जिम्मेदारी है. TMH के सीईओ किरिल लीपा, निर्णय लेने में देरी और परियोजना की समय सीमा पर पड़ने वाले इसके प्रभाव को लेकर खुश नहीं हैं. लीपा ने कहा, अगर भारतीय रेलवे इस प्रक्रिया को और आगे बढ़ाएगा तो तय समय सीमा में देरी हो सकती है. हम उत्पादन शुरू करने के लिए उत्सुक हैं लेकिन केवल लेटर भेजने और सफाई का इंतजार करने में महीनों का समय बीत रहा है. लीपा का मानना है कि पहले से अटके मामलों को जल्दी सुलझाया जा सकता है.
कब तक तैयार होगा प्रोटोटाइप?
लीपा ने बताया कि मई तक उन्हें उम्मीद थी कि साल के अंत तक ट्रेन का पहला प्रोटोटाइप तैयार हो जाएगा. लेकिन भारतीय रेलवे की ओर से डिजाइन को लेकर किए गए बदलाव के कारण इसके तैयार होने में देरी होगी. उन्होंने कहा, जो बदलाव की मांग की गई है, उसको पूरा करने के लिए समय और अतिरिक्त बजट की जरूरत पड़ेगी. उम्मीद की जा रही है कि अगले साल के सेकंड क्वार्टर तक प्रोटोटाइप को तैयार किया जा सकता है.