SIP कैंसिलेशन पर SEBI का नया नियम लागू, जानें कब करना होगा रिक्वेस्ट
सिप के कैंसिलेशन को लेकर सेबी के नियम हैं जिनका पालन म्यूचुअल फंड कंपनियां करती हैं. एसआईपी का पैसा अगर नहीं कटता है तब AMC और रजिस्ट्रार एंड ट्रांसफर एजेंट (RTA) को इसकी जानकारी निवेशक को देनी होगी.
म्यूचुअल फंडों में सिस्टेमेटिक इंवेसटमेंट प्लान (SIP) के जरिये निवेश करने वाले निवेशकों के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने नया नियम लागू किया है. SIP के निवेशक अब पैसा डेबिट होने से तीन दिन अपने सिप को कैंसिल कर सकते हैं. ऐसा करने के बाद म्यूचुअल फंड को एसआईपी कैंसिल करने के लिए 2 दिन का समय मिलेगा. सेबी के इस नियम से पहले सिप कैंसिल करने के लिए निवेशक को 10 दिन पहले रिक्वेस्ट डालनी पड़ती थी.
क्या है सेबी का नया नियम?
SEBI ने सर्कुलर जारी कर सभी म्यूचुअल फंड कंपनियों के लिए यह नया नियम अनिवार्य कर दिया है. SIP को लेकर यह बदलाव 1 दिसंबर, 2024 से लागू हो गया है. सेबी के नए नियम से निवेशकों को फायदा हो सकता है. इस बदलाव के बाद निवेशक जब अपनी सिप को कैंसिल करने का रिक्वेस्ट करता है तब एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) की यह जिम्मेदारी है कि वह निवेशक के रिक्वेस्ट को 2 दिन के भीतर कैंसिल करे.
SIP को लेकर क्या है सेबी के नियम?
सिप कैंसिलेशन को लेकर सेबी के कई नियम हैं जिसका पालन म्यूचुअल फंड कंपनियां करती हैं. एसआईपी का पैसा अगर नहीं कटता है तब AMC और रजिस्ट्रार एंड ट्रांसफर एजेंट (RTA) को इसकी जानकारी निवेशक को देनी होगी. जानकारी में निवेशक को यह भी बताना होगा कि लगातार 3 एसआईपी फेल होने की स्थिति में उस SIP को बंद कर दिया जाएगा. इसी के साथ SIP बंद करने के बाद निवेशक को दोबारा जानकारी देनी भी जरूरी है.
SIP कैंसिलेशन का कारण है अहम
सभी AMC को सिप बंद करने के कारण का विकल्प भी देना अनिवार्य है. कारण के साथ समय से पहले बंद किए जाने वाले एसआईपी के लिए कमेंट का भी विकल्प देना होगा. विकल्पों में एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) ने कुछ ऑप्शन दिए हैं जिनमें- फंड की अनउपलब्धता, स्कीम का प्रदर्शन अच्छा न होना, सर्विस से जुड़ी कोई परेशानी, दूसरे स्कीम में निवेश की इच्छा, फंड मैनेजर में बदलाव, टारगेट पूरा होना जैसे विकल्प शामिल हैं.