MF Lite के लिए Sebi ने नोटिफाई किए नियम, न्यूनतम निवेश की रकम भी हुई तय
समय के साथ निवेश के विक्लप बढ़ते ही चले गए हैं. लेकिन हर लोगों की जरूरत अलग होती है इसलिए सही निवेश चुनना जरूरी है. अब मार्केट रेगुलेटर सेबी दो नई एसेट क्लास को लॉन्च किया है. एक है SIFs यानी स्पेशलाइज्ड इंवेस्टमेंट फंड दूसरा है MF Lite, चलिए जानते हैं कि ये दोनों क्या है?
म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने वालों के लिए सेबी एक और विकल्प लेकर आया है. सिक्यॉरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने नई एसेट क्लास SIF यानी स्पेशलाइज्ड इंवेस्टमेंट फंड को लागू करने के लिए नियम बनाए हैं, जो खासतौर पर हाई रिस्क निवेशकों के लिए होंगे. साथ ही, Mutual Funds Lite या MF Lite के नाम से एक नई व्यवस्था भी पेश की गई है, जो विशेष रूप से पैसिव मैनेजमेंट वाले म्यूचुअल फंड्स के लिए है.
नई एसेट क्लास से मतलब है जैसे अभी इक्विटी, डेब्ट, रियल एस्टेट, कमोडिटी, म्यूचुअल फंड वैसे ही SIF और MF Lite नए एसेट क्लास होंगे.
स्पेशलाइज्ड इंवेस्टमेंट फंड या SIFs क्या हैं?
स्पेशलाइज्ड इंवेस्टमेंट फंड एक नया एसेट क्लास है जिसमें म्यूचुअल फंड कंपनियां ज्यादा एडवांस इंवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी लॉन्च कर सकेंगी. इसे तीन प्रकार के स्ट्रक्चर में पेश किया जाएगा: – ओपन एंडेड: निवेशक कभी भी एंट्री या एग्जिट कर सकते हैं.
- क्लोज एंडेड: एक निश्चित समय के लिए निवेश होता है.
- इंटरवल फंड: समय-समय पर निवेश और एग्जिट की सुविधा मिलती है.
- न्यूनतम निवेश: 10 लाख प्रति निवेशक.
- विशेष छूट: एक्रेडिटेड इंवेस्टर्स के लिए यह नियम लागू नहीं होगा.
यह प्रोडक्ट म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस के बीच की खाई को पाटने का काम करेगा. इससे निवेशकों को ज्यादा फ्लेक्सिबल निवेश के विकल्प मिलेंगे.
SIF के फायदे
निवेशक अधिक जटिल और पेशेवर रणनीतियों का लाभ उठा सकेंगे. एक ही कंपनी, सेक्टर या इश्यू में निवेश की सीमा तय की जाएगी ताकि जोखिम नियंत्रित रहे. SIF की स्पष्ट ब्रांडिंग और पारदर्शिता होगी ताकि यह म्यूचुअल फंड्स से अलग दिखे. यह नियम अनजाने और अनऑथराइज्ड निवेश स्कीम्स (जैसे चिट फंड्स) को रोकने के लिए भी लाए गए हैं.
म्यूचुअल फंड लाइट (MF Lite) क्या है?
MF Lite विशेष रूप से पैसिव मैनेजमेंट स्कीम्स के लिए लाया गया है. इसमें फंड का पोर्टफोलियो किसी इंडेक्स (जैसे NIFTY, SENSEX, आदि) को कॉपी करता है. उदाहरण के लिए ETFs यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड और इंडेक्स फंड. इसमें फंड मैनेजर निवेश की रणनीति बनाता है और स्टॉक्स का चुनाव करता है.
MF Lite के फायदे
लाइट यानी सरल रेगुलेशन्स के कारण नए निवेशक और कंपनियां आसानी से बाजार में आ पाएंगे. MF Lite स्कीम के लिए सेबी ने नेट वर्थ, ट्रैक रिकॉर्ड और प्रोफिटेबिलिटी जैसे नियमों में ढील दी है. पैसिव फंड्स में निवेश की लागत कम होती है. नए प्लेयर्स को प्रोत्साहन मिलेगा. छोटे और मध्यम निवेशकों के लिए यह एक आकर्षक विकल्प हो सकता है.
MF Lite के लिए शर्त होगी कि फंड कंपनियों की नेट वर्थ कम से कम ₹35 करोड़ होनी चाहिए. अगर कंपनी लगातार 5 साल से प्रॉफिट में है, तो यह सीमा ₹25 करोड़ हो सकती है. यह नई कंपनियों के लिए म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में प्रवेश करना आसान बनाएगा.