Tata Motors से Cipla तक साथ छोड़ रहे प्रमोटर्स, 22 साल में सबसे कम हिस्सेदारी, क्या खतरे में बाजार?
बड़े कारोबारियों ने शेयर बाजार में अपनी हिस्सेदारी तेजी से घटानी शुरू कर दी है. इस बदलाव ने निवेशकों को असमंजस में डाल दिया है. आखिर प्रमोटर्स के इस कदम के पीछे क्या रणनीति है, और यह बाजार के लिए क्या संकेत देता है?
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Nifty40 Promoters Sells Stakes at 22 year low: शेयर बाजार में एक खामोश बदलाव देखने को मिल रहा है. Nifty50 कंपनियों के प्रमोटर्स तेजी से अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं जिससे उनकी कुल होल्डिंग 22 साल के निचले स्तर 41.1 फीसदी पर आ गई है. दिसंबर तिमाही के दौरान प्रमोटर्स की हिस्सेदारी में 96 बेसिस पॉइंट (bps) की गिरावट आई, जबकि बीते तीन तिमाहियों में यह 167 bps तक घट चुकी है. बिकवाली ने सितंबर में जोर पकड़ ली जब शेयर बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर था, जिससे संकेत मिलता है कि प्रमोटर्स ऊंची वैल्यूएशन पर मुनाफा कमा रहे हैं.
लगातार घट रही प्रमोटर हिस्सेदारी, क्या खतरे की घंटी?
प्रमोटर्स की हिस्सेदारी में यह गिरावट कोई अचानक हुई घटना नहीं है. 2009 से यह ट्रेंड लगातार जारी है, हालांकि 2019 से 2021 के बीच इसमें थोड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली थी. अब एक बार फिर, बड़े कारोबारियों ने अपने स्टेक घटाने शुरू कर दिए हैं जिससे निवेशकों के लिए सावधानी के संकेत उभर रहे हैं.
खासतौर से Cipla और Tata Motors में प्रमोटर हिस्सेदारी में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई. Cipla में बीते तीन तिमाहियों में प्रमोटर हिस्सेदारी 428 bps घटी, जबकि Tata Motors में 379 bps की कमी आई. Bharti Airtel, Mahindra & Mahindra और TCS में भी इसी तरह का पैटर्न देखने को मिला जिससे संकेत मिलता है कि यह एक व्यापक ट्रेंड का हिस्सा है.
प्रमोटर्स अपने व्यवसाय की गहराई से जानकारी रखते हैं और जब वे ऊंचे बाजार में हिस्सेदारी बेचते हैं तो इसका मतलब हो सकता है कि वे आगे ग्रोथ के सीमित अवसर देख रहे हैं. हालांकि, हर बार प्रमोटर्स की बिकवाली को खतरे का संकेत नहीं माना जा सकता. कई बार यह नियामक जरूरतों, कर्ज चुकाने या रणनीतिक फैसलों का हिस्सा हो सकता है. खुदरा निवेशकों को इस ट्रेंड को देखते हुए जल्दबाजी में कोई कदम उठाने से पहले इसकी गहराई से जांच करनी चाहिए.
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कौन खरीद रहा है Nifty50 कंपनियों के शेयर?
प्रमोटर्स द्वारा हिस्सेदारी घटाने के बावजूद, संस्थागत निवेशकों (Institutional Investors) की हिस्सेदारी दिसंबर तिमाही में 47.5 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई. खासतौर पर घरेलू म्यूचुअल फंड्स ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई और लगातार छठी तिमाही अपनी होल्डिंग बढ़ाकर 12.2 फीसदी कर ली.
इसके विपरीत, व्यक्तिगत निवेशकों (Retail Investors) की हिस्सेदारी पिछले छह वर्षों से 8-8.5 फीसदी के बीच स्थिर बनी हुई है.
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