14 March 2025
Satish Vishwakarma
क्या आपने कभी सोचा था कि कॉकरोच भी दूध दे सकते हैं? यह सुनने में अजीब लगता है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि कॉकरोच का दूध बेहद पौष्टिक होता है और फ्यूचर में सुपरफूड बन सकता है.
यह दूध खासतौर पर पैसिफिक बीटल नाम की कॉकरोच प्रजाति से आता है, जो अंडे देने के बजाय सीधे बच्चों को जन्म देती है. आइए जानें, इस अनोखे दूध के 9 बड़े फायदे.
क्या है फायदे
कॉकरोच का दूध, गाय के दूध जैसा तरल नहीं होता. यह प्रोटीन से भरपूर क्रिस्टल के रूप में बनता है, जो पैसिफिक बीटल कॉकरोच की आंत में तैयार होता है.
यह असली दूध नहीं है
रिसर्च बताते हैं कि कॉकरोच के दूध में भैंस के दूध से तीन गुना अधिक एनर्जी होती है. इसमें प्रोटीन, जरूरी अमीनो एसिड, फैट और शुगर होते हैं, जिससे यह शरीर को बहुत ज्यादा ताकत देता है.
बेहद ज्यादा पौष्टिक
यह दूध खासतौर पर छोटे कॉकरोच के पोषण के लिए बनता है. मां कॉकरोच अपने शरीर में एक थैली में इसे स्टोर करती है, जिससे छोटे कॉकरोच इसे पीकर बढ़ते हैं.
बच्चों को पोषण देने के लिए बनता है
कॉकरोच के दूध की एक खासियत यह है कि इसमें मौजूद प्रोटीन धीरे-धीरे रिलीज होते हैं. इससे शरीर को लंबे समय तक ऊर्जा मिलती रहती है, जिससे यह एथलीट्स और अधिक स्टैमिना वाले लोगों के लिए अच्छा आप्शन है.
धीरे-धीरे पचने वाले प्रोटीन होते हैं
दुनिया में प्रोटीन की मांग तेजी से बढ़ रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि कॉकरोच का दूध पारंपरिक डेयरी और मांस का एक टिकाऊ विकल्प बन सकता है, क्योंकि इसे बनाने में कम संसाधनों की जरूरत होती है.
प्रोटीन का है आप्शन
भले ही कॉकरोच का दूध बेहद फायदेमंद बताया जा रहा हो, लेकिन अभी यह इंसानों के लिए उपलब्ध नहीं है. वैज्ञानिक अभी भी इसे बड़े पैमाने पर लैब में बनाने के तरीके खोज रहे हैं, क्योंकि कॉकरोच से दूध निकालना बहुत मुश्किल है.
अभी बाजार में उपलब्ध नहीं है
यह दूध बेहद पोषण से भरपूर है और धीरे-धीरे ऊर्जा रिलीज करता है, वैज्ञानिकों का मानना है कि यह भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक बेहतरीन भोजन आप्शन बन सकता है.
अंतरिक्ष यात्राओं में मददगार हो सकता है
कॉकरोच का दूध स्तनधारियों से नहीं आता, इसलिए यह प्राकृतिक रूप से लैक्टोज-मुक्त होता है. यह उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है.
लैक्टोज-मुक्त और एलर्जी रहित
कॉकरोच के दूध में कई पोषण लाभ हो सकते हैं, लेकिन इसकी सुरक्षा और बड़े पैमाने पर उत्पादन के तरीकों पर अभी और अध्ययन किए जा रहे हैं.
रिसर्च की जरूरत है