20 Feb 2025
Vivek Singh
सर गंगाराम एक प्रतिष्ठित इंजीनियर और समाजसेवी थे, जिन्होंने भारत और पाकिस्तान में स्थायी विरासत छोड़ी. उनके नाम पर दिल्ली और लाहौर में अस्पताल आज भी उनकी सेवा भावना को आगे बढ़ा रहे हैं.
सर गंगाराम लाहौर में पले-बढ़े, लेकिन 1947 के विभाजन के दौरान उनका परिवार दिल्ली आ गया.लेकिन उनकी विरासत दोनों देशों में जीवित रही. उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है.
उन्होंने लाहौर म्यूजियम, एचिसन कॉलेज, जनरल पोस्ट ऑफिस और कई प्रतिष्ठित इमारतों का निर्माण किया. भारतीय और पश्चिमी निर्माण शैलियों के मिश्रण से उन्होंने पंजाब के जलवायु-अनुकूल भवन तैयार किए, जिससे शहर की पहचान बनी.
सर गंगाराम ने शहरी विकास के साथ-साथ ग्रामीण पंजाब में भी बदलाव लाए. रिटायरमेंट के बाद, उन्होंने गंगापुर नामक मॉडल गांव विकसित किया, जहां एडवांस सिंचाई और कृषि तकनीकों को लागू किया गया, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिला.
गंगापुर को पास के रेलवे स्टेशन से जोड़ने के लिए उन्होंने एक अनूठी प्रणाली विकसित की. दो ट्रॉलियों को घोड़ों द्वारा खींचने की व्यवस्था से यात्रियों को सुविधा मिली. यह उनकी इंजीनियरिंग दक्षता और इनोवेशन का सबूत है.
1917 में, उन्होंने विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा देने का प्रयास किया. जब यह सफल नहीं हुआ, तो उन्होंने 1921 में विधवा गृह स्थापित किया, जहां महिलाओं को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनने का ट्रेनिंग दिया जाता था.
उन्होंने लेडी मेनार्ड इंडस्ट्रियल स्कूल की स्थापना की, जहां आर्थिक रूप से कमजोर हिंदू और सिख महिलाओं को व् कमर्शियल ट्रेनिंग दिया जाता था. यह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार प्राप्त करने में मदद करता था.
1923 में सर गंगाराम ट्रस्ट की स्थापना की गई, जिसने लाहौर में एक फ्री अस्पताल खोला. यह अस्पताल बाद में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से लैस किया गया और आज भी हजारों मरीजों की सेवा करता है.
उन्होंने 1927 में दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए "हिंदू अपाहिज आश्रम" की स्थापना की. यह उनका अंतिम सामाजिक प्रोजेक्ट था. उनके निधन के बाद उनकी अस्थियां लाहौर लाकर यहीं समाधि में रखी गईं.