14 April 2025
Soms Roy
भारत की ऊर्जा और औद्योगिक तरक्की में कोयला काफी अहम माना जाता है. बिजली बनाने से लेकर कारखानों को चलाने के लिए कोयला आज भी बादशाह बना हुआ है.
कोयले पर निर्भरता
सौर और पवन ऊर्जा के चलन के बावजूद भारत में मौजूद कोयले के भंडार सबका ध्यान खींचते हैं. मगर क्या आपको पता है हरे भरे पहाड़ों की तरह कोयले के भी पहाड़ होते हैं, जिनसे माइनिंग होती है. तो कहां हैं ये कोयले के पहाड़ आइए जानते हैं.
कोयले की होती है माइनिंग
झारखंड कोयले की दुनिया का बेताज बादशाह है. यह देश के कुल कोयला भंडार का 26.4%, यानी 8,315 करोड़ टन रखता है. यहां कोयले के खूब माइन है, इसलिए यहां कोयले के विशालकाय पहाड़ देखने को मिलते हैं.
झारखंड
ओडिशा 7,930 करोड़ टन (25.1%) कोयले के साथ दूसरे नंबर पर है. यहां के तालचर और इब वैली जैसे क्षेत्र में कोयले के पहाड़ देखने को मिल सकते हैं.
ओडिशा
छत्तीसगढ़ में 5,700 करोड़ टन कोयला भंडार है. यहां के कोरबा, रायगढ़ और सूरगुजा के कोयला क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहे हैं. ये देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद करते हैं.
छत्तीसगढ़
बिहार में 444 करोड़ टन कोयला है, जिसमें झरिया कोयला क्षेत्र का हिस्सा शामिल है. यह भंडार भले ही दूसरी जगहों से छोटा हो, लेकिन यहां भी कोयले के पहाड़ देखे जा सकते हैं.
बिहार
मध्य प्रदेश के पास 3,092 करोड़ टन कोयला है. सिंगरौली यहां के कोयला क्षेत्र बड़े थर्मल पावर प्लांट्स को बिजली सप्लाई करता है. यहां भी कोयले के पहाड़ हैं, जहां से माइनिंग होती है.
मध्य प्रदेश
तेलंगाना में 2,303 करोड़ टन (7.3%) कोयला भंडार है. गोदावरी वैली कोयला क्षेत्र यहां की खास पहचान है.
तेलंगाना