मुगल बादशाह ऐसे खेलते थे होली, शराब का पूल और महफिल थी शान

13 March 2025

Satish Vishwakarma

64 साल बाद देश में होली और रमजान का जुम्मा साथ पड़ रहा है. प्रशासन को हिंदू-मुस्लिमों में तनाव का डर है. हालांकि होली सिर्फ हिंदुओं को त्योहार नहीं रहा है, आइए जानते हैं मुगलों के जमानें में क्या वो होली खेलते थे. 

होली और रमजान एक साथ

 मुगलों के जमाने में सबसे गरीब शख्स भी बादशाह पर रंग डाल सकता था. होली पर नवाब बड़े शौक से ठंडाई पीते और रंग खेलते थे.  

मुगलों के जमाने में होली

1526 में पहले मुगल बादशाह बाबर ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया. उनके दौर में आगरा के किले में होली मनाई जाने लगी. इसका जिक्र इतिहासकार मुंशी जकीउल्लाह ने अपनी किताब ‘तारीख-ए-हिंदुस्तान’ में किया है.   

बाबर के समय होली 

किताब में जिक्र है कि बाबर ने देखा कि हिंदू एक-दूसरे को रंगों से भरे बड़े-बड़े हौदों में पटक रहे हैं. बाबर को होली का माहौल पसंद आया. उन्होंने होली के दिन अपने नहाने के पूरे कुंड को शराब से भरवाया और उसमें नहाए.  

बाबर को होली का माहौल पसंद आया

16वीं सदी के मशहूर सूफी कवि मलिक मोहम्मद जायसी ने लिखा है कि गांवों में होली मनाने से खेत लाल हो जाते थे. बाबर के बाद उनके बेटे हुमायूं के दौर में भी होली खेली गई.  

हुमायूं के समय होली  

अकबर के शासन (1556-1605) में हिंदुओं को सभी त्योहार मनाने की छूट थी.   

अकबर के समय होली  

इतिहासकार आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव ने अपनी किताब 'अकबर द ग्रेट' में लिखा है कि अकबर के समय में दीवान-ए-आम में टेसू के फूल से बने गुलाल, गुलाबजल और इत्र से होली खेली जाती थी.

अकबर द ग्रेट किताब में जिक्र

संगीत में रुचि रखने वाले बादशाह जहांगीर होली पर महफिल लगाते थे. इतिहासकारों के मुताबिक, जहांगीर आम लोगों के साथ होली नहीं खेलते थे, लेकिन वह लाल किले की खिड़कियों से झांककर आम लोगों से बातचीत करते थे.  

जहांगीर के समय होली

जहांगीर के बेटे शाहजहां के दौर में भी होली खेली जाती रही थी. 

शाहजहां के समय होली  

शाहजहां को कैद में डालकर उसका छोटा बेटा औरंगजेब मुगल बादशाह बना. यह ‘कट्टर इस्लामी शासक’ हिंदुओं के त्योहार मनाने के खिलाफ था.  इसका जिक्र औरंगजेब के दरबार से जुड़े लेखक साकी मुस्तैद खान ने अपनी किताब ‘मआसिर-ए-आलमगीरी’ में हैं.

औरंगजेब का दौर

बादशाह बहादुर शाह जफर के जमाने में होली किले और दरबार से बाहर सड़कों तक मनाई गई. उन्होंने अपने हिंदू मंत्रियों को सिर और गाल पर गुलाल लगाने की इजाजत दी थी.   

बहादुर शाह जफर के समय होली