10 March 2025
Bankatesh kumar
देश में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. चालू वित्त वर्ष (अप्रैल-दिसंबर 2024) में कार्ड, इंटरनेट और डिजिटल पेमेंट से जुड़े फ्रॉड के चलते लोगों को 107 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
जबकि, 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में यह आंकड़ा 177 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. इस दौरान 1 लाख रुपये या उससे अधिक की राशि वाले 29,082 मामले दर्ज किए गए.
अकेले अप्रैल-दिसंबर 2024 में 13,384 ऐसे धोखाधड़ी के मामले सामने आए, जिनमें जनता को 107.21 करोड़ रुपये की चपत लगी. लेकिन केंद्र सरकार साइबर क्राइम को रोकने के लिए ठगों पर शिकंजा कसती है.
सबसे पहले, सरकार ने साइबर अपराधों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक नई पहल की है. इसके तहत, सभी टेलीकॉम कंपनियां साइबर अपराध को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए कॉलर ट्यून और प्री-कॉलर ट्यून का उपयोग करती हैं.
इसके अलावा, सरकार ने साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए कई कानून बनाए हैं. उदाहरण के लिए, साइबर अपराधों से संबंधित मामलों में एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है.
साइबर ठगों से बचने के लिए, सरकार ने नागरिकों को कई सावधानियां बरतने की सलाह दी है. इनमें से कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां हैं. जैसे संदिग्ध लिंक्स पर क्लिक न करें.
क्योंकि साइबर ठग अक्सर संदिग्ध लिंक्स के माध्यम से आपके डिवाइस में मैलवेयर डालते हैं. वहीं, साइबर ठगी का शिकार होने पर साइबर क्राइम अथॉरिटी के हेल्पलाइन नंबर- 1930- पर अपनी शिकायत दर्ज करें.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा है कि देश में डिजिटल भुगतान लेनदेन बढ़ने के साथ ही डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी सहित धोखाधड़ी की घटनाएं भी पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी हैं.
वर्ष 2022-23 में धोखाधड़ी के 6,699 मामले सामने आए, जिससे कुल 69.68 करोड़ रुपये की ठगी हुई. यानी साइबर ठगों ने 6,699 लोगों को जाल में फंसाकर 69.68 करोड़ की चपत लगा दी.