10 April 2025
Satish Vishwakarma
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का बेहद महत्व है. ऐसा माना जाता है कि तुलसी की पूजा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
मंदिरों से लेकर लोगों के घरों तक आपको तुलसी का पौधा मिल ही जाएगा, जिसकी लोग पूजा करते हैं. हिंदू धर्म में हर साल कार्तिक महीने की एकादशी पर तुलसी विवाह भी किया जाता है.
तुलसी का महत्व
आयुर्वेद में तुलसी की पत्तियों का इस्तेमाल कई घरेलू नुस्खों में किया जाता है. इसके एंटीबायोटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण गले की खराश और खांसी को ठीक करने में कारगर हैं.
तुलसी की खासियत
वैसे तो आमतौर पर विश्वभर में तुलसी की 60 से अधिक प्रजातियां हैं, जिनमें से ज्यादातर हिमालय और मिडल ईस्ट में पाई जाती हैं. लेकिन भारत की बात की जाए तो यहां तुलसी की चार प्रजातियां पाई जाती हैं.
कितने तरह की होती हैं तुलसी?
श्यामा तुलसी का नाम इसकी बैंगनी पत्तियों के कारण पड़ा है। वेदों के अनुसार, भगवान कृष्ण का रंग भी श्याम वर्ण का है. श्यामा तुलसी को गले के संक्रमण और खांसी में राहत दिलाने के लिए उपयोग किया जाता है.
श्यामा तुलसी
लोगों के घरों में रामा तुलसी भी आसानी से मिल जाती है. यह तुलसी बंगाल, बिहार के अलावा चीन और ब्राजील में भी पाई जाती है. रामा तुलसी अपने ठंडे स्वाद के लिए जानी जाती है.
रामा तुलसी
वन तुलसी भारत, श्रीलंका, जावा और अफ्रीका के उत्तरी हिस्से में पाई जाती है. वन तुलसी, रामा और श्यामा तुलसी से अलग होती है. इसमें एंटी-एजिंग तत्व पाए जाते हैं.
वन तुलसी
कपूर तुलसी अपनी भीनी-भीनी खुशबू के लिए जानी जाती है. कपूर तुलसी का उपयोग मलेरिया, डायरिया, ब्रोंकाइटिस और त्वचा से जुड़ी समस्याओं के उपचार में किया जाता है.
कपूर तुलसी