कितने में बना था औरंगजेब का मकबरा, टोपी बेचकर जुटाई  थी रकम 

18 March 2025

Soma Roy

मुगल बादशाह औरंगजेब इन-दिनों खूब सुर्खियों में है. उनकी कब्र हटाने की मांग को लेकर चल रहे विवाद से मध्य नागपुर में अशांति फैल गई है, लेकिन जिस मकबरे को लेकर विवाद छिड़ा है क्‍या आपको पता है वो कितने में बना था, हम आपको इसी के बारे में बताएंगे.

मकबरे पर छिड़ा विवाद  

मुगल बादशाह औरंगजेब भारत पर राज करने वाला छठा मुग़ल शासक था. वह अकबर के बाद सबसे ज्‍यादा समय तक राज करने वाला मुग़ल शासक था. उनके साम्राज्य की विरासत जटिल रही है, लेकिन उन्‍होंने अपने आखिरी दिनों के लिए एक सादा ठिकाना चुना.

लंबे समय तक किया राज 

औरंगजेब ने साफ कहा था कि उन्‍हें सूफी संत जैनुद्दीन शिराजी की मजार के पास दफनाया जाए. अहमदनगर में आखिरी सांस लेने के बाद उनके शरीर को 136 किमी दूर खुल्दाबाद लाया गया, ताकि उसकी ये ख्वाहिश पूरी हो सके.

सूफी संत के पास दफन होने का सपना

औरंगजेब ने अपने आखिरी दिनों में टोपी बुनकर जो कमाई की थी उसी से अपना मकबरा बनवाया था. ये कोई शाही मकबरा नहीं था, जिसमें सोने-चांदी जड़े हो, बल्कि ये एक सादा मकबरा था.   

टोपी बुनकर कमाए थे पैसे

1760 में औरंगजेब की कब्र को थोड़ा संवारा गया. उन्‍होंने एक गेटवे और गुंबद वाला पोर्च बनवाया. साथ ही संगमरमर का फर्श और तीन तरफ जालीदार रेलिंग भी लगाई गई, जबकि चौथा हिस्‍सा दरगाह की दीवार है.  

आसमान ही बना छत

1760 में औरंगजेब की कब्र को थोड़ा संवारा गया. उन्‍होंने एक गेटवे और गुंबद वाला पोर्च बनवाया. साथ ही संगमरमर का फर्श और तीन तरफ जालीदार रेलिंग भी लगाई गई, जबकि चौथा हिस्‍सा दरगाह की दीवार है.  

हैदराबाद के निजाम ने संवारा 

औरंगजेब का मकबरा जहां है पहले इसे रौजा कहते थे, लेकिन उनकी मौत के बाद इसका नाम बदलकर “खुल्दाबाद” कर दिया गया, यानी स्वर्ग का ठिकाना.

नाम पड़ा “खुल्दाबाद”

औरंगजेब के इस मकबरे को आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने भी खास माना है. क्‍योंकि इसकी सादगी इसे बाकी मुगल मकबरों से अलग बनाती है.  

ASI की नजर में भी खास