23 March 2025
Pratik Waghmare
भारत में बहुत से लोग इसकी अनदेखी करते हैं, जिससे परिवार में विवाद और संपत्तियां बिना किसी दावे के रह जाती हैं. भारत में सिर्फ 10% लोग वसीयत लिखते हैं, जबकि अमेरिका में यह संख्या 46% है. नतीजतन, ₹50,000 करोड़ की संपत्ति सरकार के पास बिना दावे के पड़ी रहती है.
यह एक कानूनी दस्तावेज है जो बताता है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्तियों का वितरण कैसे होगा. अगर वसीयत सही तरीके से बनाई जाए, तो इससे पारिवारिक विवादों को रोका जा सकता है और संपत्तियों का सही उत्तराधिकारियों को हस्तांतरण सुचारू रूप से हो सकता है.
वसीयत क्या होती है
अपनी संपत्तियों की सूची बनाएं. एक्जीक्यूटर नियुक्त करें, जो वसीयत के अनुसार संपत्ति का वितरण सुनिश्चित करेगा. उत्तराधिकारियों को स्पष्ट रूप से बताएं. पूरा नाम, पता और संपत्ति में उनका हिस्सा स्पष्ट रूप से लिखें. वसीयत लिखें और गवाहों से प्रमाणित कराएं. कानूनी प्रक्रिया का पालन करें.
वसीयत के लिए क्या करें
वसीयत को रजिस्टर कराना अनिवार्य नहीं है, लेकिन इसे स्थानीय रजिस्ट्रार के कार्यालय में दर्ज कराने से अतिरिक्त सुरक्षा मिलती है और कानूनी विवादों की संभावना कम हो जाती है.
वसीयत का रजिस्ट्रेशन
आयु और मानसिक क्षमता वसीयत बनाने वाले व्यक्ति की उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए और उसे अपने निर्णयों की पूरी समझ होनी चाहिए.
वसीयत: कानूनी शर्तें
वसीयत कम से कम दो गवाहों की उपस्थिति में बनाई जानी चाहिए और उन्हें भी इस पर हस्ताक्षर करने होंगे. स्वतंत्र इच्छा- यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वसीयत बिना किसी दबाव, जबरदस्ती या प्रभाव के बनाई गई हो.
गवाह
पारिवारिक विवादों से बचाव वसीयत में संपत्तियों के वितरण को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाता है, जिससे भविष्य में विवाद की संभावना कम हो जाती है. सही वसीयत होने से यह सुनिश्चित होता है कि आपकी संपत्ति सही उत्तराधिकारियों को मिले, न कि दूर के रिश्तेदारों या कर्जदाताओं के हाथों में जाए.
वसीयत के फायदे