16 Apr 2025
VIVEK SINGH
16 अप्रैल 1853 को भारत में पहली बार एक ट्रेन चली. ट्रेन 1853 में मुंबई से ठाणे तक चली थी. इसने देश के विकास की दिशा में रेलवे को नई रफ्तार दी. तब से अब तक सफर कई गुना तेज हो चुका है.
भारत की पहली पैसेंजर ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को मुंबई (बोरी बंदर) से ठाणे तक चली थी. इस ट्रेन ने लगभग 34 किलोमीटर की दूरी तय की थी और इसे पूरा करने में 57 मिनट लगे थे . इस आधार पर, ट्रेन की औसत स्फीड लगभग 35.8 किलोमीटर प्रति घंटा थी.
कितनी स्पीड से चली थी ट्रेन
1969 में शुरू हुई राजधानी एक्सप्रेस ने लंबी दूरी की यात्रा को कम समय में पूरा करना संभव बनाया. यह भारत की पहली सुपरफास्ट ट्रेन बनी.
राजधानी एक्सप्रेस
शताब्दी एक्सप्रेस ने डे-टाइम यात्राओं को आरामदायक और तेज बना दिया. AC चेयर कार और बेहतर सर्विस इसकी पहचान बनी.
शताब्दी एक्सप्रेस
दूरंतो एक्सप्रेस उन यात्रियों के लिए वरदान बनी, जो बिना स्टॉप के तेज यात्रा चाहते हैं. इसकी स्पीड और सीधी कनेक्टिविटी ने लोगों का समय बचाया.
दूरंतो एक्सप्रेस
भारत ने अब खुद अपनी सेमी-बुलेट ट्रेन बना ली है – वंदे भारत. यह पूरी तरह देश में बनी है और हाई-स्पीड, आधुनिक सुविधाओं से लैस है.
वंदे भारत ट्रेन
वंदे भारत में ऑटोमैटिक डोर, GPS, बायो टॉयलेट, इंजन-लेस डिजाइन जैसी खूबियां हैं. यह दर्शाती है कि भारतीय रेलवे कितनी एडवांस हो चुकी है.
एडवांस हो चुकी है रेलवे
रेलवे का भविष्य अब बुलेट ट्रेनों, हाइड्रोजन इंजन और ग्रीन एनेर्जी की ओर बढ़ रहा है. भारत की पटरी अब विकास की सबसे तेज राह बन चुकी है.
नई दिशा की ओर