31 Dec
Bankatesh kumar
पिछले हफ्ते हुई बारिश और कोहरे के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में उसने किसानों को खास सलाह दी है.
एडवाइजरी में उसने कहा है कि वे आलू और टमाटर की फसलों में लेट ब्लाइट संक्रमण से बचने के लिए स्प्रिंकलर का इस्तेमाल न करें. लेट ब्लाइट के लक्षण पत्तियों पर छोटे, हरे पानी से लथपथ धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं.
ठंडे और नम मौसम के दौरान, ये धब्बे तेजी से बड़े, गहरे भूरे या काले रंग में बदल जाते हैं. इससे फसलों को बहुत नुकसान पहुंचता है.पीएयू के विशेषज्ञों ने कहा कि इन धब्बों के चारों ओर हल्के हरे-पीले रंग का किनारा होता है.
अगर समय रहते उपाय नहीं किए गए तो पूरी फसल खराब हो सकती है. विशेषज्ञों ने किसानों से अपने खेतों की बारीकी से निगरानी करने और अपनी फसलों को पाले से होने वाले संभावित नुकसान से बचाने के लिए आवश्यक उपाय करने का भी आग्रह किया है.
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में पाले का प्रकोर और बढ़ सकता है. इसलिए सावधावी बरतने की जरूरत है. लेट ब्लाइट प्रबंधन के लिए सुझाव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि ओवरहेड स्प्रिंकलर का उपयोग करके सिंचाई से बचना चाहिए.
खास कर दिन के समय खेतों की सिंचाई करनी चाहिए, ताकि रात होने से पहले पत्ते सूख जाएं. उन्होंने आलू और टमाटर की फसल पर फफूंदनाशक इंडोफिल एम-45 (500-700 ग्राम प्रति एकड़) का छिड़काव करने का सुझाव दिया है.
विशेषज्ञों ने कहा कि अगर बीमारी पहले ही दिखाई दे चुकी है या खतरा अधिक है, तो आलू की फसल पर कर्ज़ेट एम-8, मेलोडी डुओ 66.75 डब्ल्यूपी, रिडोमिल गोल्ड या सेक्टिन 60 डब्ल्यूजी (700 ग्राम प्रति एकड़का हर 10 दिन पर छिड़काव करें.
वहीं, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) पूसा ने भी किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में उसने बारिश होने पर खड़ी फसलों की सिंचाई नहीं करने की सलाह दी है.
साथ ही बारिश के दौरान फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव भी नहीं करने को कहा है. ICAR ने कहा है कि किसान देरी से बोई गई सरसों की फसल में खरपतवार नियंत्रित करने का काम करें.