गेहूं की नई किस्म की ईजाद, 3 सिंचाई में दोगुना पैदावार

11 March 2025

Bankatesh kumar

कृषि विज्ञान अनुसंधान केंद्र ने गेहूं की दो ऐसी किस्में तैयार की हैं,जो कम सिंचाई में ही तैयार हो जाती हैं. खास बात यह है कि इन किस्मों का बुंदेलखंड में सफल परीक्षण भी हो गया है.

सफल परीक्षण

कहा जा रहा है कि इन किस्मों की खेती उन इलाकों में भी की जा सकती है, जहां सिंचाई के लिए पानी की किल्लत है.

पानी की किल्लत

खास कर राजस्थान और बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए गेहूं की ये नई किस्म किसी वरदान से कम नहीं हैं. इससे खेती में सिंचाई पर होने खर्च से भी किसानों को राहत मिलेगी.

बुंदेलखंड

वैज्ञानिकों का दावा है ये किस्म सामान्य गेहूं के मुकाबले ज्यादा पैदावार देंगी. इसकी उपज सामान्य गेहूं से डेढ़ से दो गुना ज्यादा तक हो सकती है.

सामान्य गेहूं 

दरअसल, गेहूं की इन दो नई किस्म का नाम  HI 1650 और HI 1655 है. कृषि अनुसंधान केंद्र इंदौर ने इन दोनों किस्मों को तैयार किया है.

किस्म का नाम

कहा जा रहा है कि ये दोनों किस्में शरबती गेहूं के विकल्प बन सकती हैं. गेहूं की इन दोनों किस्मों में जिंक, प्रोटीन और आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है.

 जिंक, प्रोटीन और आयरन

दोनों किस्में तीन सिंचाई में ही 70 से 80 क्विंटल की पैदावार प्रति हेक्टेयर देती है. कुल मिलाकर गेहूं की ये वैरायटी किसानों के लिए किसी खजाने से कम नहीं है.

वैरायटी

गेहूं की ये वैरायटी पूसा ओजस्वी HI 1650 और पूषा हर्षा HI 1655 के नाम से हैं. इसका औसत उत्पादन 60 क्विंटल है.

औसत उत्पादन 

हालांकि, किसान अच्छी तरह से खेती करेंगे, तो गेहूं इन उन्नत किस्मों का उत्पादन 75 से 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ले सकते हैं.

उत्पादन