17 Nov 2024
Bankatesh kumar
धान की कटाई करने के बाद कई राज्यों में किसानों ने गेहूं और आलू की बुवाई शुरू कर दी है. एक महीने में इन फसलों की अच्छी-खासी ग्रोथ हो जाएगी.
लेकिन इसके साथ ही नीलगाय से गेहूं और आलू का खतरा भी बढ़ जाएगा. खास कर दिसंबर से जनवरी तक गेहूं और आलू की फसल को नीलगाय से ज्यादा खतरा रहता है.
झुंड में आकर ये नीलगाय फसलों को कुछ घंटों में चट कर जाती हैं. इससे किसानों का काफी अधिक आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है.
लेकिन अब किसानों को नीलगाय से होने वाले नुकसान को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है. बहुत ही कम खर्चे में अब फसलों को नीलगाय से बचाया जा सकता है.
इसके लिए किसानों को गेहूं और आलू के खेत में कुसुम की बुवाई करनी होगी.दरअसल, कुसुम एक तरह की तिलहन फसल है. इस फसल के अंकुरण के बाद इसमें कांटे निकल आते हैं.
इसके चलते नीलगाय इसे खाने से बचती हैं. साथ ही नीलगाय को कुसुम के पौधों से निकलने वाली गंध भी पसंद नहीं है. ऐसे में वे इस गंध के चलते दूर से भाग जाती हैं.
कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर किसान आलू और गेहूं के खेत की मेड़ पर कुसुम की बुवाई करते हैं, तो उनकी फसल को नीलगाय बर्बाद नहीं करेंगी. साथ ही किसानों को एक साथ दो फसल भी मिल जाएगी.
खास बात यह है कि कुसुम की बुवाई करने से पहले बीज का उपचार करना जरूरी है. बीज का उपचार करने के लिए किसान फंगीसाइड का उपयोग कर सकते हैं.
इसके लिए 20 ग्राम दवा को 10 किलो बीज पर स्प्रे करें. फिर बीज पर पानी का छिड़काव करें. इसके बाद बीज को अच्छी तरह से मिला दें.