30 March 2025
Bankatesh kumar
देश में बकरी पालन का चलन तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी पशुपालन को बढ़ावा दे रही हैं.
बकरी पालन के लिए किसानों को सब्सिडी भी दी जाती है. लेकिन लोगों को मालूम होना चाहिए कि गाय-भैंस के मुकाबले बकरियां हाई इम्यूनिटी की होती हैं.
यानी गाय-भैंस जल्दी बीमार पड़ती हैं, लेकिन बकरियों को जल्द कोई भी बीमारी नहीं होती है. लेकिन फिर भी बकरियों को बीमारियों से बचाने के लिए वैक्सीनेशन करवाना चाहिए.
पशु एक्सपर्ट का कहना है कि रोग के लक्ष्ण पहचान कर बकरियों का तुरंत इलाज किया जा सकता है. इससे बकरियों की मृत्यु दर को कम किया जा सकता है.
वैक्सीनेशन से बकरियों को चेचक, खुरपका और प्लेग जैसी बीमारियों से बचाया जा सकता है. बस इसके लिए पशुपालकों को अलर्ट रहने की जरूरत है.
क्योंकि जरा सी लापरवाही से एक बीमार बकरी से पूरे फार्म में रोग फैल सकता है. इसलिए बकरियों का समय पर इलाज बहुत जरूरी है
खुरपका रोग से बचाने के लिए 3 से 4 महीने की उम्र में ही बकरियों को बूस्टर डोज पहले टीके के 3 से 4 हफ्ते बाद लगवाएं. इसके 6 महीने बाद दोबारा लगवाएं.
बकरी चेचक रोग से बचाने के लिए 3 से 5 महीने की उम्र में ही बूस्टर डोज पहले टीके के एक महीने बाद लगवाएं. इसके बाद हर साल लगवाएं.
गलघोंटू रोग से बचाने के लिए 3 महीने की उम्र पर पहला टीका लगवाएं. बूस्टर डोज पहले टीके के 23 दिन या 30 दिन बाद लगवाएं.