ये हैं भागवत गीता के 9 फॉर्मूले जो बदल देंगे आपके खाने के तरीके

   13 April 2025

Satish Vishwakarma

भगवद गीता हमें न सिर्फ भगवान की बातें नहीं बताती बल्कि ये हमें सिखाती है  कि कैसे खाएं, कैसे जिएं ताकि हम स्वस्थ, खुश और लंबा जीवन जी सकें. चलिए जानते हैं, गीता से मिले 9 आसान खाने के राज.

 गीता का हेल्थ फॉर्मूला

गीता कहती है कि सबसे अच्छा खाना होता है सात्विक खानपान यानी कि फल, सब्जियां, दूध, दालें, हल्का और ताजा खाना. ऐसा खाना हमें ताकत, खुशी और शांति देता है.

 सात्विक खाना 

गीता कहती है पुराना, सड़ा, बेस्वाद या बार-बार गरम किया खाना सेहत बिगाड़ता है. ऐसा खाना सुस्ती लाता है और मन को भी भारी करता है.  ऐसे में हमेशा ताजा बना खाना चाहिए. 

 बार-बार गरम किया खाना ना खाएं

गीता बताती है कि खाने को भगवान का प्रसाद मानो और जब हम ध्यान और शुक्रिया के साथ खाते हैं, तो खाना सिर्फ पेट नहीं भरता बल्कि मन को भी सुकून देता है.

 खाना आराम से खाओ, जल्दी में नहीं

गीता सिखाती है कि जो भी करो  संतुलन से करो यानी कि अगर हम ज्यादा खाएं तो शरीर भारी होगा और अगर बहुत कम खाएं तो कमजोर पड़ेंगे.  थोड़ा-थोड़ा, समय पर खाना सही है.

 ना ज्यादा खाओ, ना बहुत कम

ज्यादा तीखा या फिर ज्यादा मसालेदार खाना (जिसे गीता में राजसिक कहा गया है) मन को बेचैन और चिड़चिड़ा बना देता है. ऐसे में सीधा-सादा, हल्का और स्वाद में नरम खाना हमें अंदर से शांत रखता है. 

 बहुत तीखा या ज्यादा मसालेदार खाना कम

गीता के अनुसार फल, शहद, गुड़ जैसे प्राकृतिक मीठे चीजें शरीर को साफ ऊर्जा देती हैं. चीनी और मिठाइयों से दूर रहो, क्योंकि वो जल्दी थका देती हैं.

 मिठास चाहिए? तो नैचुरल मिठाई खाओ

गीता कहती है कि खाने से हमें शक्ति मिलती है, न कि बस मजा हर निवाला सोच-समझकर खाओ. जो हम खाते हैं, वही हम बनते हैं.

खाना सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं, खुद की देखभाल के लिए है