किसानों के लिए ATM हैं ये बकरियां, रोज देती हैं 5 लीटर तक दूध

25 Jan 2025

Bankatesh kumar

बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित लगभग पूरे देश में बकरी पालन का चलन तेजी से बढ़ रहा है. किसान के साथ-साथ पढ़े- लिखे युवा भी अब बकरी पालन कर रहे हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है.

अच्छी कमाई

वहीं, केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकारें भी बकरी पालन को बढ़ावा दे रही हैं. इसके लिए लोगों को सब्सिडी पर लोन मुहैया कराया जा रहा है. लेकिन इसके बावजूद भी कई किसानों को बकरी पालन के बिजनेस में आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.

सब्सिडी पर लोन

क्योंकि उनके पास बकरी की उन्नत नस्लों की जानकारी नहीं है. पर ऐसे बकरी पालकों को अब चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम बकरी की ऐसी उन्नत नस्लों के बारे में जानकारी देंगे, जिनका पालन करने पर बंपर कमाई होगी.

बकरी पालकों 

सानेन: सानेन नस्ल की बकरियां अधिक दूध देने के लिए जानी जाती हैं. यह एक विदेशी नस्ल की बकरी है. इसका मूल स्थान स्विट्जरलैंड है. लेकिन भारत में भी किसान इसका पालन कर रहे हैं.

विदेशी नस्ल 

इस नस्ल की बकरियों की सबसे बड़ी खासियत है ये देसी गाय के बराबर दूध देती हैं. ऐसे सानेन नस्ल की एक बकरी रोजाना 4 लीटर तक दूध देती है. एक्सपर्ट का कहना है कि इस नस्ल की बकरी एक साल में 800 लीटर तक दूध दे सकती है.

 4 लीटर तक दूध 

एंग्लो न्युबियन: एंग्लो न्युबियन नस्ल की बकरियां भी दूध उत्पादन के लिए पाली जाती हैं. अभी यूरोपीय देशों में इसका बड़े स्तर पर पालन किया जा रहा है. एंग्लो न्युबियन नस्ल की बकरी एक दिन में 5 लीटर तक दूध देती है.

एंग्लो न्युबियन

देसी नस्ल की पहाड़ी गाय भी रोजाना करीब 5 लीटर के आस पास ही दूध देती है. ऐसे में एंग्लो न्युबियन नस्ल की बकरियों को गरीबों की गाय कहा जाता है. बड़ी बात यह है कि इस नस्ल की बकरियां दूध देने के साथ-साथ मांस के लिए भी जानी जाती हैं.

 गरीबों की गाय

टोगेनबर्ग: टोगेनबर्ग नस्ल की बकरियां भी बंपर दूध उत्पादन के लिए पूरी दुनिया में फेमस हैं. इस नस्ल की एक बकरी रोजाना 4 से 4.5 लीटर तक दूध दे सकती है. ऐसे टोगेनबर्ग नस्ल का मूल स्थान भी स्विट्जरलैंड ही है.

टोगेनबर्ग:

ऐसे टोगेनबर्ग नस्ल का मूल स्थान भी स्विट्जरलैंड ही है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसके सिंग नहीं होते हैं. इसका कलर सफेद और भूरा होता है.

कलर सफेद