24 Nov 2024
SATISH VISHWAKARMA
आपने देखा होगा कि कुछ ट्रकों के पहिए हवा में लटके रहते हैं. ये एक्स्ट्रा पहिए न तो दिखावे के लिए होते हैं और न ही बिना वजह लगाए जाते हैं. इनके पीछे है एक बड़ा कारण है.
इन हवा में लटके टायरों को लिफ्ट एक्सल या ड्रॉप एक्सल कहते हैं. ये टायर जरूरत पड़ने पर नीचे आते हैं और ट्रक के वजन को सहारा देते हैं. जब इनकी जरूरत नहीं होती, तो इन्हें ऊपर खींच लिया जाता है.
जब ट्रक भारी लोड लेकर चलता है, तब ये 'फ्लोटिंग' टायर काम में आते हैं. जैसे ही लोड कम होता है, इन्हें फिर से ऊपर कर लिया जाता है, ताकि टायर जल्दी घिसें नहीं और लंबे समय तक चलें.
गाड़ी के पहिए एक रॉड यानी एक्सल से जुड़े होते हैं. यह एक्सल ही पहियों को घुमाने का काम करता है. जब लिफ्ट एक्सल को नीचे किया जाता है, तो हवा में लटके ये पहिए भी काम करने लगते हैं.
अधिक एक्सल ट्रक की गति को धीमा कर सकते हैं और उसकी मूवमेंट को कठिन बना सकते हैं. साथ ही, ज्यादा एक्सल और पहिए होने से फ्यूल की खपत भी बढ़ जाती है. इसलिए इन्हें जरूरत के वक्त ही नीचे किया जाता है.
अधिक एक्सल और टायर का मेंटेनेंस महंगा पड़ता है. ज्यादा पहिए रखने से ट्रक के ऑपरेशन का खर्च बढ़ सकता है. लिफ्ट एक्सल की मदद से ये खर्च कंट्रोल किया जाता है.
ट्रक के टायर सस्ते नहीं होते. इन टायरों को हवा में लटका कर उन्हें कम इस्तेमाल करने से उनकी लाइफ बढ़ जाती है, और हर टायर पर खर्च बचाया जा सकता है.
ये टायर सिर्फ सजावट के लिए नहीं होते, बल्कि ट्रक के कामकाजी प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए बेहद जरूरी होते हैं. इन्हें सही वक्त पर इस्तेमाल करने से ट्रक का वजन अच्छे से उठाया जा सकता है.
लिफ्ट एक्सल तकनीक का इस्तेमाल ट्रक के जीवनकाल को बढ़ाता है और मरम्मत की लागत को भी बैलेंस में रखता है. तो अगली बार जब आप ट्रक देखते हैं, तो समझ जाइए कि ये हवा में लटके पहिए ट्रक की क्षमता और बचत के लिए कितने जरूरी हैं.