26 Jan 2025
vivek singh
UPS (Unified Pension Scheme) में कर्मचारी को उनके अंतिम 12 महीनों के औसत वेतन का 50% पेंशन मिलती है. जबकि NPS (National Pension System) पेंशन पूरी तरह से बाजार आधारित होती है.
UPS में सरकार कर्मचारी के वेतन का 18.5% योगदान करती है. वहीं, NPS में यह योगदान 14% होता है. UPS का योगदान ज्यादा होता है, जिससे सरकारी कर्मचारियों को अधिक स्थिर पेंशन मिलती है.
UPS पेंशन को भारत सरकार के "All India Consumer Price Index" (AICPI-IW) से जोड़ा जाता है, जिससे कर्मचारियों को महंगाई से सुरक्षा मिलती है, NPS में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए यहां पेंशन में बदलाव बाजार की स्थिति के हिसाब से होता है.
UPS के तहत, अगर कोई कर्मचारी सेवा में रहते हुए निधन हो जाता है, तो उनकी पेंशन का 60% परिवार को मिलता है. NPS में परिवार को मिलने वाली पेंशन एकत्रित राशि और चयनित एन्युइटी (annuity) प्लान पर निर्भर करती है, जिससे यह अधिक लचीला हो सकता है, लेकिन पेंशन में सुरक्षा की गारंटी नहीं होती.
UPS के तहत, अगर कर्मचारी ने 10 साल या उससे ज्यादा सेवा की हो, तो उन्हें न्यूनतम 10,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलती है. NPS में ऐसी कोई न्यूनतम राशि तय नहीं होती, क्योंकि पेंशन पूरी तरह से कर्मचारी के निवेश और बाजार के रिटर्न्स पर निर्भर करती है.
UPS में हर 6 महीने में कर्मचारी को उनकी अंतिम वेतन का 1/10 हिस्सा लंप सम के रूप में मिलता है. NPS में कर्मचारी अपने जमा किए गए पैसे का 60% तक लंप सम के रूप में निकाल सकते हैं. हालांकि, NPS में यह राशि पूरी तरह से निवेश के रिटर्न्स पर निर्भर करती है.
UPS में कोई बाजार जोखिम नहीं होता, क्योंकि पेंशन राशि सुनिश्चित होती है और इसमें कोई उतार-चढ़ाव नहीं होता. NPS में निवेश पूरी तरह से बाजार पर निर्भर होता है, जिससे रिटर्न्स उतार-चढ़ाव कर सकते हैं, और इसके साथ बाजार जोखिम भी जुड़ा होता है.
UPS के तहत पेंशन की कोई अतिरिक्त लचीलापन नहीं होता और कर्मचारी को निश्चित राशि मिलती है. NPS में कर्मचारी को उच्च लचीलापन मिलता है, क्योंकि वह अपनी निवेश योजना, जोखिम स्तर और रिटर्न्स के हिसाब से विभिन्न विकल्पों में निवेश कर सकते हैं.
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