04 Jan
Bankatesh kumar
उत्तर प्रदेश सरकार ने पराली के बदले गोवंश खाद नामक एक अनूठी पहल शुरू की है, जिसका उद्देश्य पराली जलाने पर रोक लगाना और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी.
पीटीआई के मुताबिक, 28 अक्टूबर, 2024 को शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य पराली जलाने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को दूर करना है और जैविक खेती के लिए गोबर के वितरण के माध्यम से किसानों को लाभ पहुंचाना है.
अभियान के तहत पूरे राज्य में 2,90,208.16 क्विंटल पराली एकत्र की गई और किसानों को 1,55,280.25 क्विंटल गोबर वितरित किया गया. इस खाद का उपयोग मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करने के लिए किया जा रहा है.
बयान में कहा गया कि अभियान के दौरान वाराणसी, बांदा, बदायूं, जालौन, बरेली, अमेठी, सिद्धार्थनगर और बहराइच सहित कई जिलों ने बड़े पैमाने पर पराली एकत्र करने और खाद वितरित करने के साथ उल्लेखनीय प्रदर्शन किया.
बयान में कहा गया है कि यह अभियान न केवल पर्यावरणीय खतरों को कम करता है, बल्कि किसानों के लिए उत्पादन लागत को भी कम करता है, जिससे दीर्घकालिक कृषि कल्याण और संरक्षण प्रयासों में योगदान मिलता है.
यह गौशालाओं से एकत्रित गोबर को किसानों तक वितरित करने की सुविधा प्रदान करके निराश्रित गायों के संरक्षण पर भी जोर देता है. बयान में कहा गया है कि यह प्रयास पशुपालन विभाग की सक्रिय और कुशल कार्यप्रणाली को दर्शाता है.
सरकार ने कहा कि 'पराली के बदले गोवंश खाद' अभियान किसानों के कल्याण, पर्यावरणीय स्थिरता और बड़े पैमाने पर समाज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.
बयान में कहा गया है कि यह प्रभावी रूप से पराली जलाने पर अंकुश लगाता है और किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करता है, यह पहल राज्य में हरित क्रांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है. यहां पर किसान बड़े स्तर पर खेती करते हैं. यूपी में किसान गेहूं, आलू, और गन्ने के साथ-साथ धान भी उगाते हैं.