14 April 2025
Tejas Chaturvedi
इसी मार्केट कैप के आधार पर कंपनियों को तीन प्रमुख कैटेगरी में बांटा जाता है:
लार्ज-कैप कंपनियां वे होती हैं जो देश की टॉप 100 कंपनियों में आती हैं. इनका बिजनेस वर्षों से स्थिर और मजबूत रहा है. जैसे कि रिलायंस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), एचडीएफसी बैंक जैसी कंपनियां.
मिड-कैप कंपनियां मार्केट कैप के हिसाब से 101वें से लेकर 250वें स्थान तक की होती हैं. ये कंपनियां विकास के रास्ते पर होती हैं और इनमें तेजी से आगे बढ़ने की क्षमता होती है.
स्मॉल-कैप कंपनियां वे होती हैं जो मार्केट कैप रैंकिंग में 251वें नंबर के बाद आती हैं. ये कंपनियां नई या तेजी से बढ़ती हुई होती हैं और इनकी ग्रोथ की संभावना बहुत ज्यादा होती है.
Large-Cap: इन कंपनियों का मार्केट कैप 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होता है Mid-Cap: इन कंपनियों का मार्केट कैप 5,000 से 20,000 करोड़ के बीच होता है. Small-Cap: इसका मार्केट कैप 5,000 से कम होता है.
स्मॉल-कैप कंपनियों में सबसे ज्यादा रिस्क होता है. साथ ही बहुत ज्यादा रिटर्न की संभावना भी मौजूद होती है.
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