रुपया पहले आया या डॉलर, इतिहास जान चौंक जाएंगे आप

22  March 2025

Tejaswita Upadhyay

भारतीय रुपये और अमेरिकी डॉलर की तुलना अक्सर की जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों में से कौन पहले अस्तित्व में आया? रुपये का इतिहास 1100 ईसा पूर्व तक जाता है, जबकि अमेरिकी डॉलर का अस्तित्व केवल कुछ सदियों पुराना है.

पहले क्या आया?

'रुपया' शब्द संस्कृत के 'रूप्य' से लिया गया है, जिसका अर्थ 'चांदी का बना' या 'चांदी का सिक्का' होता है. यह शब्द प्राचीन भारतीय मुद्राओं के लिए प्रयोग किया जाता था.

रुपया शब्द की उत्पत्ति

प्राचीन भारत में गांधार, कुरु और मगध जैसे विभिन्न राज्यों ने 'रूप्य' नामक चांदी के सिक्के चलाए थे, जो उस समय की प्रमुख मुद्रा थी.

प्राचीन भारत में मुद्रा प्रणाली

16वीं शताब्दी में, शेर शाह सूरी ने 'रुपया' नामक चांदी का सिक्का प्रचलित किया जिसका वजन लगभग 11.66 ग्राम था. जो बाद में मुगलों, मराठों और ब्रिटिश शासन के दौरान भी जारी रहा. यह सिक्का आधुनिक भारतीय रुपये का पूर्वज माना जाता है.

शेर शाह सूरी का योगदान

'डॉलर' शब्द की उत्पत्ति 1519 में बोहेमिया (अब चेक गणराज्य) में गढ़े गए 'थैलर' सिक्के से हुई. यह शब्द धीरे-धीरे 'डॉलर' बन गया और 18वीं शताब्दी में अमेरिकी मुद्रा के रूप में अपनाया गया

'डॉलर' शब्द की उत्पत्ति

अमेरिका ने 1792 में पहली बार 'डॉलर' को अपनी आधिकारिक मुद्रा के रूप में स्वीकार किया. यह रुपया के अस्तित्व में आने के करीब 2,900 साल बाद की बात है.

'थैलर' से 'डॉलर' तक

रुपया और डॉलर दोनों का अपने-अपने देशों की अर्थव्यवस्था में गहरा प्रभाव रहा है। रुपये की जड़ें प्राचीन भारतीय सभ्यता से जुड़ी हैं, जबकि डॉलर नवीनतम वैश्विक मुद्रा प्रणालियों में से एक है.

रुपया और डॉलर का ऐतिहासिक  महत्व

वर्तमान में, 1 अमेरिकी डॉलर लगभग 86 भारतीय रुपये के बराबर है, जो वैश्विक आर्थिक कारकों के मुताबिक बदलता रहता है.

रुपया और डॉलर के  बीच विनिमय दर