19 Dec 2024
Tejaswita Upadhyay
एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) एक निवेश साधन है जो स्टॉक्स, बॉन्ड्स या अन्य एसेट्स के समूह को ट्रैक करता है. इसे स्टॉक एक्सचेंज पर खरीदा और बेचा जा सकता है, जैसे किसी सामान्य शेयर को. यह विविधता और कम लागत के कारण निवेशकों के बीच लोकप्रिय है.
ईटीएफ एक इंडेक्स, सेक्टर या एसेट क्लास को ट्रैक करता है और निवेशकों को इंडेक्स में शामिल सभी स्टॉक्स का एक्सपोजर देता है. इसे पैसिव इन्वेस्टमेंट माना जाता है क्योंकि यह सीधे बाजार के प्रदर्शन पर आधारित होता है. इसमें फंड मैनेजर की सक्रिय भूमिका कम होती है.
ईटीएफ कई प्रकार के होते हैं, जैसे इक्विटी ईटीएफ, बॉन्ड ईटीएफ, गोल्ड ईटीएफ, और सेक्टर-आधारित ईटीएफ. निवेशक अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता के आधार पर इनमें से चयन कर सकते हैं. गोल्ड ईटीएफ भारत में सबसे अधिक लोकप्रिय है.
ईटीएफ निवेश में कम लागत, पारदर्शिता और लिक्विडिटी के फायदे मिलते हैं. यह निवेशकों को बाजार की विविधता में भाग लेने का अवसर देता है. लंबी अवधि में ईटीएफ निवेश अधिक रिटर्न और कम जोखिम का संयोजन प्रदान कर सकते हैं.
हालांकि ईटीएफ कम लागत वाले होते हैं, लेकिन इसमें ब्रोकरेज फीस और बाजार की अस्थिरता का जोखिम रहता है. सीमित मैनेजमेंट के कारण ईटीएफ बाजार में गिरावट के दौरान नुकसान को नियंत्रित नहीं कर सकते. छोटे निवेशकों के लिए इसे समझना थोड़ा कठिन हो सकता है.
ईटीएफ पर टैक्स की गणना अन्य म्यूचुअल फंड्स की तरह की जाती है. इक्विटी ईटीएफ पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स 10% और शॉर्ट-टर्म गेन टैक्स 15% है. गैर-इक्विटी ईटीएफ पर टैक्सेशन स्लैब अलग हो सकता है.
भारत में ईटीएफ पर लगने वाला टैक्स स्टेट जीएसटी के अनुसार बदल सकता है. हालांकि, निवेश पर कैपिटल गेन टैक्स केंद्रीय नियमों के अंतर्गत आता है. कुछ राज्यों में अतिरिक्त टैक्स या शुल्क लगाए जाते हैं.
पश्चिम बंगाल ईटीएफ पर सबसे अधिक स्टांप ड्यूटी और अन्य निवेश शुल्क लगाता है. यहां स्टांप ड्यूटी का प्रतिशत अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है जिससे ट्रेडिंग लागत बढ़ जाती है.
ईटीएफ में निवेश करने से पहले टैक्सेशन और संबंधित शुल्कों को समझना बेहद जरूरी है. इससे आपके निवेश पर वास्तविक रिटर्न का आकलन किया जा सकता है. हर राज्य में लागू टैक्स नियमों की जांच करके ही निवेश करें.