04 April 2025
Soma Roy
अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है. इस बार 29 अप्रैल की शाम 5:32 बजे से शुरू होकर 30 अप्रैल की दोपहर 2:13 बजे तक तृतीया तिथि रहेगी. उदया तिथि के कारण 30 अप्रैलको यह पर्व मनाया जाएगा.
इस दिन किए गए दान-पुण्य और अच्छे काम कभी नष्ट नहीं होते. चूंकि अक्षय का मतलब है जो कभी खत्म न हो, इसलिए इस दिन का हर कार्य फलदायी होता है.
अक्षय का क्या है मतलब
अक्षय तृतीया पर माता लक्ष्मी की पूजा का खास महत्व है. घर में सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए भक्त उनकी अराधना करते हैं.
लक्ष्मी माता की कृपा
अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त माना जाता है. मान्यता है कि नया काम शुरू करने, सोना-चांदी खरीदने या संपत्ति लेने के लिए ये सबसे अच्छा दिन होता है, इसलिए इस दिन शुभ मुहूर्त पर खरीदारी करने खासतौर पर सोना लेने से संपन्नता बनी रहती है.
शुभ मुहूर्त का महत्व
अक्षय तृतीया तिथि 30 अप्रैल की दोपहर 2:13 बजे खत्म होगी, ऐसे में इस समय से पहले का सारा समय खरीदारी के लिए उत्तम है. सुबह के समय की गई खरीदारी ज्यादा फलदायी होगी.
क्या है सर्वोत्तम समय
पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुईं थी. सतयुग, द्वापर और त्रेतायुग की शुरुआत भी इसी तिथि से मानी जाती है. इसलिए ये दिन काफी खास है.
पौराणिक कथाओं का संगम
अक्षय तृतीया के दिन से ही उत्तराखंड में चार धाम यात्रा शुरू होती है. गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलते हैं.
चार धाम यात्रा का शुभारंभ
मान्यता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त पर खरीदारी करने से किए गए कार्यों में बरक्कत होती है. इस दिन सोने की खरीदारी से मां लक्ष्मी का हमेशा आशीर्वाद रहता है.
दिन दूनी, रात चौगुनी तरक्की