24 Feb 2025
Tejaswita Upadhyay
प्री-ओपन मार्केट नियमित ट्रेडिंग शुरू होने से पहले का एक सत्र होता है, जो शेयर बाजार में शुरुआती उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने और स्थिरता लाने में मदद करता है.
भारत में यह सत्र सुबह 9:00 से 9:15 बजे तक चलता है. पहले 8 मिनट ऑर्डर प्लेस, संशोधित या रद्द करने के लिए होते हैं, अगले 4 मिनट ऑर्डर मिलान के लिए और अंतिम 3 मिनट नियमित बाजार में संक्रमण के लिए होते हैं.
समय और अवधि
9:08 से 9:12 बजे के बीच, बाजार में उपलब्ध खरीद और बिक्री आदेशों का मिलान किया जाता है. इसके बाद, सबसे उपयुक्त मांग और आपूर्ति संतुलन के आधार पर ओपनिंग प्राइस तय की जाती है.
कैसे तय होती है शुरुआती कीमत?
9:12 से 9:15 बजे के दौरान, प्री-ओपन सत्र में तय हुई शुरुआती कीमत के आधार पर सिस्टम ऑर्डर को अंतिम रूप देता है. यह प्रक्रिया बाजार में अचानक उतार-चढ़ाव को रोकने और स्थिरता बनाए रखने में मदद करती है.
नियमित सत्र में बदलाव की प्रक्रिया
इस सत्र का मुख्य उद्देश्य बाजार खुलने के तुरंत बाद भारी उतार-चढ़ाव को कम करना है. इससे ट्रेडर्स और निवेशकों को शुरुआती मिनटों में कीमतों को समझने का मौका मिलता है, जिससे वे बेहतर निवेश निर्णय ले सकते हैं.
बाजार को स्थिर करने की भूमिका
इस दौरान निवेशक लिमिट ऑर्डर और मार्केट ऑर्डर लगा सकते हैं, लेकिन लेन-देन वास्तविक रूप से 9:08 बजे के बाद ही निष्पादित होते हैं. इसमें निवेशक शेयर खरीद या बेच सकते हैं, लेकिन पूरा नियंत्रण प्राइस डिस्कवरी पर होता है.
क्या कर सकते हैं ट्रेडर्स?
यह सत्र केवल NSE और BSE में लिस्टेड सेंसेक्स 30 और निफ्टी 50 कंपनियों के शेयरों पर लागू होता है. अन्य स्टॉक्स और डेरिवेटिव्स में इस समय ट्रेडिंग की अनुमति नहीं होती, जिससे प्राइस स्टेबिलिटी सुनिश्चित की जाती है.
किन शेयरों पर लागू होता है प्री-ओपन सत्र?
प्री-ओपन सत्र नए लिस्टेड IPO के लिए बेहद अहम भूमिका निभाता है. यह नए शेयरों की सही कीमत तय करने में मदद करता है, ताकि वे बिना अनावश्यक अस्थिरता के एक स्थिर और उचित स्तर पर ट्रेडिंग शुरू कर सकें.
नए IPO के लिए क्यों अहम है?