मजनू के टीले के नाम का सीक्रेट

दिल्‍ली के इस इलाके का नाम क्‍यों पड़ा मजनू का टीला, ये रही वजह

17 April 2025

Soma Roy

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दिल्ली यूनिवर्सिटी के नजदीक होने के कारण छात्रों के बीच मजनू का टीला इलका काफी पॉपुलर है. संकरी गलियों में दुकानें और कैफे यहां के माहौल को बिल्‍कुल जीवंत बनाता है. 

आधुनिक आकर्षण

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मजनू का टीला न्यू अरुण नगर कॉलोनी,  उत्तर दिल्ली में यमुना नदी के किनारे बसा है.  यहां की दुकानें खाने-पीने के लिए काफी मशहूर हैं.

मजनू का टीला कहां है?

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मजनू का टीला एक सांस्कृतिक केंद्र है, जो इतिहास, भक्ति और आधुनिकता की झलक देता है. यह दिल्ली की विविधता का भी प्रतीक है.

सांस्कृतिक केंद्र

15वीं सदी में, एक ईरानी सूफी संत अब्दुल्ला, जिन्हें 'मजनू' कहा जाता था, वो यहां रहते थे. 20 जुलाई 1505 को सिख गुरु नानक देव जी यहां आए और मजनू की भक्ति देखकर वो बहुत खुश हुए. इसी को देखते हुए इस इलाके का नाम मजनू का टीला पड़ा.

कैसे पड़ा नाम? 

गुरु नानक ने मजनू को आशीर्वाद दिया और कहा कि उनका नाम हमेशा अमर रहेगा. उनके निस्‍वार्थ प्रेम और सेवा भाव के लिए इस जगह को मजनू का टीला कहा जाने लगा. 

गुरु नानक का आशीर्वाद

1783 में सिख नेता बघेल सिंह धालीवाल ने गुरु नानक के यहां ठीहरने की याद में मजनू का टीला गुरुद्वारा बनवाया. यह दिल्ली के सबसे पुराने गुरुद्वारों में से एक है.

मजनू का टीला गुरुद्वारा

1960 में तिब्बती शरणार्थियों को यहां बसाया गया. आज इसे 'लिटिल तिब्बत' कहा जाता है, जहां  तिब्बती मठ, मंदिर और बाजार हैं.

तिब्बती संस्कृति का केंद्र

मजनू का टीला सिख, तिब्बती और अन्य संस्कृतियों का अनोखा मिश्रण है. इसलिए यहां कोरियाई, चीनी और तिब्बती व्यंजनों का स्वाद लिया जा सकता है.

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