इन बागान में मिलती हैं देश की सबसे बेहतरीन चाय, इस ब्लैक टी का पूरी दुनिया में बजता है डंका
असम के अलग-अलग जिलों में 803 टी गार्डन हैं, लेकिन जोरहाट की बात ही अलग है. इस जिले में 150 चाय बागान हैं, जिसमें हजारों मजदूर काम करते हैं. खास बात यह है कि इन टी गार्डन में अलग-अलग किस्म की चाय उपजाई जाती है.
अधिकांश लोगों की सुबह की शुरुआत चाय की चुस्कियों के साथ होती है. बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं, जो सुबह से शाम तक 5 कप से भी अधिक चाय गटक जाते हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है कि जिस एक कप चाय के बगैर आपकी नींद नहीं खुलती है, उसका बागान यानी टी गार्डन भी बहुत खूबसूरत होता है. इसकी खूबसूरती का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं, जहां-जहां चाय की खेती होती वह जगह टूरिस्ट प्लेस बन जाती है. टी गार्डन का सैर करने के लिए सैलानी दूर-दूर से आते हैं. तो आज हम देश के 5 टी गार्डन के बारे में जानते हैं.
जब भी चाय के बात होती है, तो लोगों के जेहन में सबसे पहले असम का नाम उभरकर सामने आता है. क्योंकि असम की चाय और टी-गार्डन पूरी दुनिया में फेमस हैं. ऐसे तो असम के अलग-अलग जिलों में 803 टी गार्डन हैं, लेकिन जोरहाट की बात ही अलग है. इस जिले में 150 चाय बागान हैं, जिसमें हजारों मजदूर काम करते हैं. खास बात यह है कि इन टी गार्डन में अलग-अलग किस्म की चाय उपजाई जाती है. यहां पर दूर-दूर से सैलानी घूमने आते हैं. क्योंकि यहां के टी गार्डन की सुन्दरता देखते ही बनती है. ऐसे असम का औसत चाय उत्पादन 630-700 मिलियन किलो प्रति वर्ष है. पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जोरहाट में टी गार्डन का दौरान किया था.
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दार्जिलिंग की ब्लैक टी
दार्जिलिंग चाय भी भारत ही नहीं पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. यहां की चाय अपने बेहतरीन खुशबू के लिए जानी जाती है. खास बात यह है कि दार्जलिंग की चाय जितनी टेस्टी है, उतना ही खूबसूरत वहां की वादियां भी हैं. पश्चिन बंगाल स्थित इस हिल स्टेशन पर 85 से अधिक छोटे-बड़े चाय बागान हैं, जो दार्जलिंग की पूरी पहाड़ियों को कवर करते हैं. समुद्र तल से 3 हजार से 7 हजार फुट की ऊंचाई पर सभी चाय बागान स्थित हैं. भारतीय चाय बोर्ड के अनुमान के अनुसार, साल 2021 में दार्जिलिंग में 7,010,000 किलो चाय का उत्पादन हुआ. ऐसे दार्जिलिंग की ब्लैक टी कुछ ज्यादा ही पसंद की जाती है.
कांगड़ा चाय और इतिहास
ऐसे तो हिमाचल प्रदेश पूरा राज्य ही अपने आप में हिल स्टेशन है, लेकिन कांगड़ा का कोई जवाब नहीं है. कांगड़ा जिले की पहाड़ियों पर चाय की खेती की जाती है. यहां के बागान में ब्लैक और ग्रीन चाय की खेती होती है. साल 1880 के दशक में अंग्रेजों ने कांगड़ा में चाय की खेती शुरू की थी. यहां से चाय की सप्लाई काबुल और मध्य एशिया के देशों में होती थी. लेकिन साल 1905 में आए भयानक भूकंप से कई टी फैक्ट्रियां नष्ट हो गईं. इसके बाद अंग्रेजों ने चाय की खेती बंद कर दी. लेकिन सरकार के सहयोग से 21सदीं में फिर से चाय की खेती शुरू हो गई. साल 2022 में कांगड़ा में कुल 9.62 लाख किलो चाय का उत्पादन हुआ, जोकि 2021 के 9.30 लाख किलो से 32 हजार किलो अधिक है.
3,200 हेक्टेयर में फैला है रकबा
जब भी देश के बेहतरीन हिल स्टेशन की बात होती है, तो ऊटी का नाम जरूर लिया जाता है. यह हिल स्टेशन जितना खूबसूरत है, उतना ही अधिक लजीज यहां की चाय भी है. क्योंकि ऊटी की पहाड़ियों पर कई टी गार्डन हैं. तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में स्थिति ऊटी घूमने आने वाले लोग टी गार्डन जाना नहीं भूलते हैं. यहां की ब्लैक टी विश्व प्रसिद्ध है. साल 1862 से यहां पर चाय की खेती की जा रही है. 1904 में नीलगिरि में चाय का रकबा 3,200 हेक्टेयर था.
मुन्नार हिल स्टेशन
केरल के इडुक्की जिला स्थित मुन्नार भी अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. इस हिल स्टेशन पर 50 से ज्यादा टी गार्डन हैं, जो 3000 हेक्टेयर में फैले हुए हैं. केरल आने वाले लोग मुन्नार जरूर घूमने आते हैं. मुन्नार दक्षिण भारत का सबसे ऊंचा हिल स्टेशन है, जो समुद्र तल से करीब 2,695 मीटर पर स्थित है. खास बात यह है कि मुन्नार में एक चाय संग्रहालय भी है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. इस चाय संग्रहालय की स्थापना टाटा टी ने 2005 में की थी.
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