केला-पपीता की खेती करने पर मिल रही है 75 फीसदी सब्सिडी, इस तरह बढ़ जाएगी किसानों की कमाई
बिहार सरकार ‘एकीकृत बागवानी विकास मिशन’ के तहत किसानों को आम-लीची की खेती पर 50 फीसदी और केला-पपीता पर 75 फीसदी तक सब्सिडी दे रही है. इसके अलावा, ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सिंचाई तकनीक अपनाने पर 80 फीसदी अनुदान मिल रहा है. सरकार का लक्ष्य किसानों की आमदनी बढ़ाना, रोजगार सृजित करना और आधुनिक खेती को बढ़ावा देना है.

सुजीत कुमार: बिहार सरकार राज्य में बागवानी फलों (Horticulture Subsidy) की खेती को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए वह ‘एकीकृत बागवानी विकास मिशन’ योजना चला रही है. इस योजना के तहत किसानों को आम और लीची की खेती पर 50 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है. इसके अलावा केला और पपीता की खेती करने वाले किसानों को 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिलेगी. राज्य सरकार का मानना है कि बागवानी फसलों की खेती करने पर किसानों की इनकम में बढ़ोतरी होगी. इससे उनके जीवन स्तर में सुधार आएगा.
राज्य के उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने मंगलवार को बताया कि फलों की खेती को बढ़ावा देने से न सिर्फ बागवानी क्षेत्र का विस्तार होगा, बल्कि किसानों को भी ज्यादा मुनाफा मिलेगा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी आधुनिक सिंचाई तकनीक अपनाने वाले किसानों को 80 फीसदी तक सब्सिडी दी जा रही है. इससे पानी की बचत के साथ फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों बेहतर होते हैं.
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तकनीकी प्रशिक्षण दे रही है सरकार
उन्होंने कहा कि इन योजनाओं का मकसद सिर्फ उत्पादन बढ़ाना नहीं है, बल्कि किसानों की आमदनी दोगुनी करना, ग्रामीण इलाकों में स्वरोजगार को बढ़ावा देना और युवाओं को आधुनिक खेती से जोड़ना है. इसके साथ ही सरकार किसानों को वैज्ञानिक खेती के लिए तकनीकी प्रशिक्षण भी दे रही है.
प्रति हेक्टेयर आएगी इतनी लागत
मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि एकीकृत बागवानी मिशन के तहत आम और लीची की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर कुल दो लाख रुपये की लागत आती है, जिसमें किसानों को 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है. केला और पपीता की खेती में प्रति हेक्टेयर 60 हजार रुपये की लागत आती है, जिसमें किसानों को 75 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है.
किसानों की कमाई में होगी बढ़ोतरी
कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में बागवानी एक असरदार तरीका बन सकता है. फलदार पेड़ों की खेती से किसानों को पारंपरिक फसलों के मुकाबले ज्यादा फायदा होता है. फलों की बाजार में लगातार मांग, अच्छे दाम और प्रोसेसिंग की संभावनाएं बागवानी को ज्यादा कमाई वाला विकल्प बनाती हैं. सरकार की ओर से मिलने वाला अनुदान, तकनीकी ट्रेनिंग और ड्रिप जैसी आधुनिक सिंचाई सुविधाएं किसानों को बागवानी की ओर आकर्षित कर रही हैं. इससे न सिर्फ उनकी आमदनी बढ़ती है, बल्कि पानी की बचत और रोजगार के नए अवसर भी बनते हैं. इस तरह बागवानी किसानों के लिए कमाई और तरक्की की कुंजी बन सकती है.
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