खाद की बिक्री में 9 फीसदी की बढ़ोतरी, यूरिया नहीं सबसे ज्यादा इसकी हुई सेलिंग
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में उर्वरकों की कुल बिक्री रिकॉर्ड 655.94 लाख टन रही, हालांकि खपत में सिर्फ 1 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. यूरिया, MOP और कॉम्प्लेक्स खाद की बिक्री बढ़ी, जबकि DAP की बिक्री और खपत में गिरावट रही. यूरिया का आयात 19.8 फीसदी घटा.

भारत में 2024-25 के वित्तीय वर्ष में उर्वरकों की खपत अनुमानित मांग की तुलना में सिर्फ 1 फीसदी ज्यादा रही, जबकि बिक्री में पिछले साल की तुलना में रिकॉर्ड 9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. इस उछाल का मुख्य कारण डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP), म्यूरिएट ऑफ पोटाश (MOP) और कॉम्प्लेक्स खाद की आपूर्ति रही. हालांकि ये किसान की उम्मीदों पर पूरी तरह खरे नहीं उतरे.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल यूरिया की बिक्री 8.4 फीसदी बढ़कर 387.92 लाख टन हो गई, जो 2023-24 में 357.81 लाख टन थी. म्यूरिएट ऑफ पोटाश की बिक्री 33.9 फीसदी से बढ़कर 22.02 लाख टन हो गई, जबकि कॉम्प्लेक्स खाद की बिक्री 28.2 फीसदी बढ़कर 149.72 लाख टन पर पहुंच गई. वहीं, DAP की बिक्री घटकर 96.28 लाख टन रह गई, जो पहले 109.74 लाख टन थी. इसकी मुख्य वजह नवंबर 2024 के मध्य तक इसकी कमी रही.
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कोविड के दौरान सबसे ज्यादा बिक्री
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में उर्वरकों की कुल बिक्री 655.94 लाख टन रही, जो अब तक की सबसे अधिक है. पिछले साल यानी 2023-24 में यह आंकड़ा 600.79 लाख टन था. इस तरह बिक्री में 9.2 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. इससे पहले सबसे ज्यादा बिक्री कोविड महामारी के दौरान 2020-21 में 621.91 लाख टन रही थी.
हालांकि जब इस बिक्री की तुलना राज्यों द्वारा अनुमानित मांग से की गई, तो पता चला कि खपत में सिर्फ 1 फीसदी की मामूली बढ़त हुई. राज्यों के मुताबिक, 2024-25 में कुल 649.44 लाख टन उर्वरकों की जरूरत थी, जिसमें खरीफ सीजन के लिए 321.45 लाख टन और रबी के लिए 327.99 लाख टन की मांग थी.
DAP की खपत अनुमान से 14 फीसदी कम
केवल यूरिया की बिक्री ही अनुमानित मांग से 6.6 फीसदी ज्यादा रही (364.01 लाख टन की मांग के मुकाबले). वहीं DAP की खपत अनुमान से 14 फीसदी कम रही (111.92 लाख टन की मांग के मुकाबले). MOP और कॉम्प्लेक्स खाद की खपत भी अपने-अपने अनुमान से 1 फीसदी कम रही. वित्त वर्ष 2024-25 में यूरिया का आयात, जो सरकार के नियंत्रण में होता है, 19.8 फीसदी घटकर 56.47 लाख टन रह गया, जबकि पिछले साल यह 70.42 लाख टन था. 2020-21 में यूरिया का रिकॉर्ड आयात 98.28 लाख टन हुआ था.
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कुल उर्वरक आयात भी घटा
सभी तरह के उर्वरकों का कुल आयात 9.7 फीसदी घटकर 152.22 लाख टन रह गया, जो पिछले साल 168.49 लाख टन था. इसमें DAP का आयात 17.1 फीसदी घटकर 45.69 लाख टन रहा, जबकि MOP का आयात 29.8 फीसदी बढ़कर 27.34 लाख टन और कॉम्प्लेक्स उर्वरकों का आयात 3.9 फीसदी बढ़कर 22.72 लाख टन हो गया.
घरेलू उत्पादन में हल्की बढ़ोतरी
सभी उर्वरकों का घरेलू उत्पादन 2.9 फीसदी बढ़कर 517.83 लाख टन पहुंच गया, जो पिछले साल 503.31 लाख टन था. इसमें यूरिया 306.67 लाख टन (FY24 में 314.07), DAP 37.68 लाख टन (42.93), कॉम्प्लेक्स 113.29 लाख टन (95.48), SSP 52.43 लाख टन (44.45) और अमोनियम सल्फेट 7.76 लाख टन (6.38) रहा.
SSP उत्पादन में ठहराव
SSP की कुल स्थापित क्षमता 120 लाख टन है, जिसे 101 यूनिट्स मिलकर संचालित करती हैं, लेकिन उत्पादन बीते कई सालों से 50–55 लाख टन के आसपास ही बना हुआ है. इसकी वजह किसानों द्वारा DAP को प्राथमिकता देना बताया जा रहा है.
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