खेती की जमीन बेचने पर कितना लगता है टैक्स, जानें आबादी और दूरी का फॉर्मूला
भारत में कृषि भूमि बिक्री पर टैक्स भूमि के प्रकार पर निर्भर करता है. ग्रामीण कृषि भूमि यदि नगर पालिका सीमा से बाहर है, टैक्स नहीं लगता. शहरी कृषि भूमि बेचने पर टैक्स लागू होता है. कुछ राज्यों में गैर-किसानों को भूमि बिक्री के लिए स्थानीय प्रशासन की मंजूरी आवश्यक होती है.

Agricultural Land Tax Rule: आम तौर पर यह धारणा होती है कि देश में खेती की जमीन यानी कृषि योग्य भूमि बेचने पर कोई टैक्स नहीं लगता, लेकिन इसमें कई शर्तें लागू होती हैं. यदि आप कोई कृषि भूमि खरीदने या बेचने की योजना बना रहे हैं, तो इन शर्तों को समझना जरूरी है, वरना आपको आर्थिक नुकसान हो सकता है. सभी कृषि भूमि पर टैक्स छूट नहीं मिलती, कई ऐसी खेती की जमीनें होती हैं जिन्हें बेचने पर टैक्स लगाया जाता है. आइए जानते हैं किस तरह की खेती की जमीन पर कोई टैक्स नहीं लगता और कौन सी जमीन बेचने पर टैक्स देना पड़ता है.
कितनी तरह की होती है खेती की जमीन
असल में खेती की जमीन दो तरह की होती है, पहली ग्रामीण कृषि भूमि और दूसरी शहरी कृषि भूमि. तो आइए पहले जानते हैं कि ग्रामीण कृषि भूमि क्या होती है. ग्रामीण कृषि भूमि (Rural Agricultural Land) वह जमीन होती है जो नगर पालिका (Municipality) या कैंटोनमेंट बोर्ड (Cantonment Board) की सीमा में न आती हो. इसके अलावा गांव की खेती की जमीन के लिए जनसंख्या का पैमाना तय किया गया है. इसके तहत कैंटोनमेंट और नगर पालिका से दूरी के नियम भी तय किए गए हैं. आइए जानते हैं दूरी और जनसंख्या के आधार पर क्या नियम हैं…
जनसंख्या के आधार पर दूरी की शर्तें.
यदि नगर पालिका या कैंटोनमेंट बोर्ड की जनसंख्या 10,000 से 1 लाख के बीच हो तो खेती की जमीन को कम से कम 2 किमी दूर होनी चाहिए. तभी वह ग्रामीण कृषि भूमि मानी जाएगी.
- इसी तरह यदि जनसंख्या 1 लाख से 10 लाख के बीच हो, तो खेती की जमीन कम से कम 6 किमी दूर होनी चाहिए.
- वहीं यदि जनसंख्या 10 लाख से अधिक हो, तो जमीन कम से कम 8 किमी दूर होनी चाहिए.
और केवल ग्रामीण कृषि भूमि बेचने से हुई कमाई पर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती है.
दूरी कैसे नापी जाती है?
यह दूरी सीधी रेखा में मापी जाती है, सड़क की लंबाई को ध्यान में नहीं रखा जाता, क्योंकि सड़कें अक्सर घुमावदार होती हैं. यदि सड़क सही से जुड़ी न हो, तो जमीन गलती से शहरी सीमा में आ सकती है, इसलिए सीधी दूरी का नियम लागू होता है.
शहरी एग्रीकल्चर लैंड पर लगेगा टैक्स
- जो कृषि ग्रामीण कृषि भूमि की कैटेगरी में नहीं आती है, वह शहरी कृषि भूमि कहलाती है. इसके लिए नियम जनसंख्या के आधार पर पर तय हैं. जो उपर बताया गया है.
- यदि कोई भूमि शहरी कृषि भूमि (Urban Agricultural Land) की कैटेगरी में आती है, तो उसे बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gains Tax) देना होगा.
- अगर भूमि 2 साल के अंदर बेची जाती है. इससे होने वाला मुनाफा शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा और यह जमीन मालिक की आयकर स्लैब दर के अनुसार टैक्सेबल होगा.
- अगर भूमि 2 साल के बाद बेची जाती है. इससे होने वाला मुनाफा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) माना जाएगा और इस पर 12.5% टैक्स लगेगा. (इसमें इंडेक्सेशन नहीं लागू होगा. अगर इंडेक्सेशन लागू होता है तो 20 फीसदी टैक्स देना होगा)
राज्य के कानून
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सभी राज्यों में कृषि भूमि को गैर-किसानों को बेचने की अनुमति नहीं होती, जब तक कि स्थानीय प्रशासन (Local Authority) से अनुमति न ली जाए. उदाहरण, महाराष्ट्र और गुजरात में कुछ शर्तों के तहत गैर-किसानों को कृषि भूमि बेचना प्रतिबंधित है. इसे बेचने के लिए स्थानीय प्रशासन की मंजूरी जरूरी होती है.
लैंड सीलिंग: हर राज्य में कृषि भूमि रखने की अधिकतम सीमा तय होती है, यानी कोई व्यक्ति एक निश्चित सीमा से ज्यादा कृषि भूमि नहीं खरीद सकता.
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