बढ़ता तापमान किसानों के लिए ला सकता है मुश्किलें, अगले 5 साल में बढ़ सकते हैं कृषि लोन डिफॉल्ट के मामले
जलवायु परिवर्तन के कारण भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव करने की आवश्यकता है. इसके लिए बैंकों को बड़े स्तर पर फाइनेंशियल सपोर्ट देने की जरूरत है. हालांकि, भारत कोयले और तेल से हटकर अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दे रहा है. अक्षय ऊर्जा सेक्टर में सालाना 150-200 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की जरूरत है.
Climate change: जलवायु परिवर्तन का असर केवल मौसम पड़ ही नहीं पड़ रहा है, बल्कि यह एग्रीकल्चर और हाउसिंग लोन पोर्टफोलियो को भी अपनी जद में ले रहा है. इससे आने वाले समय में डिफॉल्ट रिस्क के मामले बढ़ने की संभावना है. बीसीजी के विश्लेषण के अनुसार, बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन के चलते अगले पांच साल में एग्रीकल्चर और हाउसिंग लोन पोर्टफोलियो में डिफॉल्ट रिस्क के मामले 30 फीसदी तक बढ़ सकते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, औसत वैश्विक तापमान पहले ही प्री- इंडस्ट्रियल लेवल की तुलना में लगभग 1.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है. इससे तटीय क्षेत्रों में बाढ़ आ रही है और कृषि उत्पादन में कमी आई है. इसके चलते प्राकृतिक आपदाएं भी बढ़ी हैं, जिससे प्रति व्यक्ति आय में गिरावट दर्ज की गई है.
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42 प्रतिशत जिलों में बढ़ जाएगा तापमान
पीटीआई के मुताबिक, अनुसूचित कमर्शियल बैंकों द्वारा दिए गए लोन का एक बड़ा हिस्सा प्रकृति पर निर्भर है. इसलिए बाढ़, सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाएं बैंकों के लिए नुकसानदायक हो सकती हैं. अनुमान के अनुसार, 2030 तक भारत के 42 प्रतिशत जिलों में तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि होने का अनुमान है. इसलिए, अगले पांच वर्षों में 321 जिले तापमान वृद्धि से प्रभावित हो सकते हैं.
भारत में क्लाइमेट फाइनेंस 40-60 बिलियन अमरीकी डॉलर के बीच है, जिससे 100-150 बिलियन अमरीकी डॉलर का अंतर पैदा हो रहा है. बीसीजी के एमडी अभिनव बंसल ने कहा कि हालांकि हम लक्ष्य से बहुत दूर हैं और हम इसे 2030-40 तक होते हुए देख सकते हैं.
ग्रीन टेक्नोलॉजी अपनाने की जरूरत
बीसीजी के प्रबंध निदेशक टेओ कोपोला ने कहा कि बैंकों को इस मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने और अपने ग्राहकों को ग्रीन टेक्नोलॉजी अपनाने की सलाह देने की दिशा में काम करने की जरूरत है. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि बैलेंस फाइनेंस को तेज किया जाना चाहिए, ताकि जोखिम को कम करने के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराया जा सके.
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