बिहार के किसान करेंगे इस विदेशी फ्रूट की खेती, सरकार देगी ट्रेनिंग, मार्केट में 200 रुपये किलो है रेट

ड्रैगन फ्रूट की फसल को जानवरों से भी नुकसान नहीं पहुंचता है. क्योंकि इसके तने में कांटे होते हैं. इसके चलते मवेशी इसे खाने से कतराते हैं. साथ ही इस फसल में बीमारी लगने की संभावना न के बराबर होती है. इसलिए किसानों को कीटनाशकों पर होने वाले खर्चे से भी राहत मिलेगी.

ड्रैगन फ्रूट की खेती से बिहार के किसान करेंगे कमाई. Image Credit: tv9

बिहार के भागलपुर के किसान अब ड्रैगन फ्रूट की खेती करेंगे. इसके लिए किसानों को सस्ती दरों पर ड्रैगन फ्रूट के पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे. खास बात यह है कि ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) और भागलपुर के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) किसानों को ट्रेनिंग भी देगा. बीएयू और केवीके का मानना है कि भागलपुर की मिट्टी और जलवायु ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अनुकूल है. अगर किसान बड़े स्तर पर इसकी खेती करेंगे तो अच्छी पैदावार मिलने की उम्मीद है.

बीएयू के कुलपति डी आर सिंह ने कहा कि ड्रैगन फ्रूट की मार्केट में बहुत अधिक मांग है. यह अभी मार्केट में 150 से 200 रुपये किलो बिक रहा है. ऐसे में अगर किसान इसकी खेती करते हैं, तो उनकी कमाई में बढ़ोतरी होगी और उनके जीवन स्तर में भी सुधार आएगा. बड़ी बात यह है कि अन्य फ्रूट के मुकाबले ड्रैगन फ्रूट की शेल्फ लाइफ अधिक होती है. यानी फसल की कटाई करने के बाद इसे लंबे समय तक स्टोर किया जा जाता है. साथ ही डिमांड के अनुसार किसान दूसरे शहरों में भी इसकी सप्लाई कर पाएंगे. इससे मुंह मांगी कीमत मिल सकेगी.

प्रति एकड़ मिलेगी इतनी पैदावार

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ड्रैगन फ्रूट की फसल को जानवरों से भी नुकसान नहीं पहुंचता है. क्योंकि इसके तने में कांटे होते हैं. इसके चलते मवेशी इसे खाने से कतराते हैं. साथ ही इस फसल में बीमारी लगने की संभावना न के बराबर होती है. इसलिए किसानों को कीटनाशकों पर होने वाले खर्चे से भी राहत मिलेगी. ऐसे ड्रैगन फ्रूट के एक फल का वजन 300 से 800 ग्राम होता है और औसत उपज प्रति एकड़ 5 से 6 टन के बीच होती है. बीएयू के वैज्ञानिक और सहायक प्रोफेसर, मोहम्मद शमीम के मुताबिक इसके पौधे लगभग 25 वर्षों तक जीवित रह सकते हैं. यानी इसकी खेती शुरू करने पर 25 साल तक सिर्फ कमाई ही कमाई है. बड़ी बात यह है कि हर साल मई से अक्टूबर के बीच इसके पौधों पर पांच बार फल आते हैं.

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इन देशों में होती है बड़े स्तर पर खेती

अभी महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश में ड्रैगन फ्रूट की खेती बड़े स्तर पर की जा रही है. इसका मार्केट बेहतर होने के चलते अब दूसरे राज्यों में भी किसानों ने ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू कर दी है. ऐसे दक्षिणी मैक्सिको, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ग्वाटेमाला, कोस्टा रिका, अल साल्वाडोर, चीन, जापान, ताइवान, थाईलैंड और अन्य विदेशी देशों में बड़े स्तर पर इसकी खेती की जा रही है. ड्रैगन फ्रूट में विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. बीएयू को उम्मीद है कि बिहार का पूर्वी हिस्सा जल्द ही ड्रैगन फ्रूट की खेती का केंद्र बनेगा.

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