Budget 2025 से डेयरी और पोल्ट्री उद्योग को काफी उम्मीदें, ड्रोन सहित इन तकनीकों पर मिल सकती है सब्सिडी

इस बजट से कोल्ड स्टोरेज मालिक और अनाज सप्लाई चेन से जुड़े कारोबारियों को भी काफी उम्मीदें हैं. उन्हें भी वित्तीय प्रोत्साहन की उम्मीदें हैं, ताकि भंडारण और मार्केटिंग क्षमताओं में सुधार लाया जा सके. इससे अनाजों की बर्बादी भी कम होगी और किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी.

budget 2025 से कृषि सेक्टर को भी हैं काफी उम्मीदें. Image Credit: Freepik

केंद्रीय बजट 2025 से इस बार कृषि सेक्टर को काफी उम्मीदें है. खास कर डेयरी और पोल्ट्री उद्योग के कारोबारी नीतिगत बदलावों की बहुत उम्मीद कर रहे हैं. अगर सरकार बजट में नीतिगत बदलाव करती है, तो पोल्ट्री का तेजी से विकास होगा. साथ ही कारोबार करना भी आसान हो जाएगा. ऐसे में डेयरी और पोल्ट्री उद्योग से जुड़े खिलाड़ियों को सरकार से वित्तीय प्रोत्साहन मिलने का भी भरोसा है.

मनी कंट्रोल के मुताबिक, दूधवाले फार्म के फाउंडर अमन जे जैन का कहना है कि केंद्र सरकार को 2025 के बजट में डेयरी और पोल्ट्री उद्योग के लिए भी प्रोत्साहन राशि की अलग से व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि डेयरी और पोल्ट्री उद्योग के बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण किया जा सके. इसलिए वित्तीय प्रोत्साहन बहुत जरूरी है. इसके अलावा, चारे और फीड की लागत पर सब्सिडी आवश्यक है, क्योंकि मवेशियों की चारें बहुत महंगे हो गए हैं. ऐसे में बढ़ती इनपुट कीमतें किसानों को परेशान करती हैं. ऐसे में किसानों को कई तरह की चुनौतियों का समाधान करना पड़ सकता है.

पशुओं की नस्लों में सुधार की जरूरत

उन्होंने कहा कि डेयरी के लिए, विशेष रूप से कृत्रिम गर्भाधान, नस्ल वृद्धि और पशु चिकित्सा सेवाओं जैसे क्षेत्रों में सुधार की भी जरूरत है. इसलिए उत्पादकता में सुधार के लिए आर्थिक मदद बढ़ाने की आवश्यकता है. साथ ही पोल्ट्री फार्मिंग में बीमारियों को रोकने के उपाय भी करने की जरूरत है.

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जैविक खेती को मिलेगा बढ़ावा

वहीं, प्रीमियर इरिगेशन एड्रिटेक (PIAL) के श्रीकांत गोयनका का मानना ​​है कि केंद्रीय बजट 2025 में भारत के कृषि क्षेत्र को बदलने की क्षमता है, जिससे यह अधिक लचीला, संधारणीय और समृद्ध बन जाएगा. जल प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन पर मुख्य ध्यान दिया जा रहा है, जिसमें किसानों की सहायता के लिए माइक्रोएसपी, डब्ल्यूएसपी और सौर पंपों को वित्तपोषित करने की मांग की गई है. जैविक खेती और मृदा उर्वरता कार्यक्रमों के लिए अधिक समर्थन के लिए भी जोर दिया जा रहा है.

किसान कवरेज को व्यापक बनाने और दावों के निपटान में तेजी लाने के लिए फसल बीमा में सुधार की मांग कर रहे हैं, साथ ही छोटे किसानों के लिए NABARD फंडिंग और ब्याज सब्सिडी में वृद्धि के माध्यम से ऋण लागत को कम करना चाहते हैं. इसके अतिरिक्त, किसान-उत्पादक संगठनों (FPO) के माध्यम से MSP प्राप्ति को बढ़ाने के उपाय अपेक्षित हैं.

ड्रोन पर सब्सिडी का भी अनुमान

श्रीकांत गोयनका के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण कृषि सेक्टर पर विशेष रूप से ध्यान देने और निवेश करने की जरूरत है. उनके मुताबिक, कृषि सेक्टर में अभी बहुत काम करने की जरूरत है. इसके लिए बड़े स्तर पर कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउसिंग और सप्लाई चेन प्रबंधन भी बनाने की आवश्यकता है, ताकि कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम किया जा सके और बाजार तक पहुंच में सुधार हो सके. वहीं, किसानों को ड्रोन, AI, IoT और सटीक खेती जैसी उन्नत तकनीकों के लिए सब्सिडी का भी अनुमान है.

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