Budget 2025: MSP से MRP, डिजिटलीकरण; किसानों की आय बढ़ाने का नया तरीका
बजट 2025 में कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई पहलों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. सबसे पहले, कृषि इंफ्रा का निर्माण और उत्पादन का डिजिटलीकरण करना चाहिए, जिससे किसानों को अपने उत्पादों को पारदर्शी रूप से व्यापार करने में मदद मिलेगी.
आदित्य सेश: बजट 2025 में कृषि इंफ्रा का निर्माण, उत्पादन का डिजिटलीकरण, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर निर्भरता से अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर ध्यान केंद्रित करने और किसान आय बढ़ाने के लिए मूल्य वृद्धि जैसी मौजूदा पहलों पर फोकस करना चाहिए.
उत्पादन का डिजिटलीकरण पहले ही शुरू हो चुका है, और इसे एक राष्ट्रीय डिजिटल बाजार (ENAM) को सशक्त बनाने के लिए आगे बढ़ाया जाना चाहिए, जिससे किसान अपने उत्पाद को पारदर्शी रूप से व्यापार कर सकें. 2024-25 के बजट में कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के विकास के लिए ₹2,817 करोड़ प्रावधान किए गए थे, इन प्रयासों को किसान डेटा के डिजिटलीकरण, ई-नाम के माध्यम से व्यापार पूर्ति, और ई-कॉमर्स के माध्यम से बाजार तरलता (Market Making) को पूरा करने और किसानों, व्यापारियों और लॉजिस्टिक्स प्रदाताओं के बीच एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
इन कार्रवाइयों से अक्षमताएं कम होंगी, उचित मूल्य सुनिश्चित होगा, और किसान स्थानीय मंडियों से परे व्यापक बाजारों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित होंगे. यह “फार्म से फोर्क” की अवधारणा को साकार करेगा.
2025-26 के बजट में ₹35,000 करोड़ का आवंटन या प्रावधान प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण योजना (पीएम-आशा) के तहत किया गया है, जो किसानों और उपभोक्ताओं को मूल्य अस्थिरता या तीव्र उतर चढ़ाव से बचाने के लिए सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं के लिए स्थिर कीमतें और किसानों के लिए लाभदायक कीमतें सुनिश्चित करना है.
“उत्पादन से उत्पाद”
उत्पादन से उत्पाद दृष्टिकोण पर पहले से ही काम शुरू हो चुका है और इसे और आगे बढ़ाना चाहिए. इस दृष्टिकोण में एमएसपी से एमआरपी पर निर्भरता का संक्रमण शामिल होना चाहिए, जिससे किसान अपने उत्पाद से अधिकतम लाभ कमा सकें. 2024-25 में, फूड प्रोसेसिंग उद्योग मंत्रालय को खाद्य प्रसंस्करण पहलों का समर्थन करने के लिए ₹3,290 करोड़ प्राप्त हुए.
इस आवंटन को बढ़ाया जाना चाहिए, जिसमें ठंडे भंडारण सुविधाओं, प्रसंस्करण इकाइयों और ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी रूप से संचालित पैकेजिंग केंद्रों की स्थापना के लिए लक्षित सब्सिडी शामिल हो. 2024-25 में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को ₹581.67 करोड़ प्रावधान किए गए थे, और इन्हें नवाचार (Innovation), ब्रांडेड उत्पाद लाइनों के विकास और खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं के साथ सीधे संपर्क स्थापित करने में मदद के लिए विस्तारित किया जाना चाहिए. उन किसानों को जो “उत्पादन से उत्पाद” में परिवर्तन करना चाहते हैं, उन्हें न्यूनतम निवेश के साथ एक सेवा शुल्क देकर “खाद्य प्रसंस्करण सेवा”( फूड प्रोसेसिंग आ सर्विस )की सुविधा प्रदान करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए. यह सब संक्रमण कृषि को एक व्यवसाय से एक समृद्ध, उद्योग में बदल देगा.
कृषि जीडीपी में 20% का योगदान देती है और इसे बनाए रखने के लिए ₹1,75,000 करोड़ का बजटीय प्रावधान जरूरी है. यह वित्त प्रावधान न केवल कृषि विकास को बनाए रखेगा बल्कि क्षेत्र को खाद्य सुरक्षा से पोषण सुरक्षा में संक्रमण करने में भी सक्षम बनाएगा, जो बदलती आहार आवश्यकताओं को पूरा करेगा और जनसंख्या के स्वास्थ्य परिणामों में सुधार ले आयेगा.
(आदित्य सेश कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में विशेषज्ञ समिति के सदस्य हैं. प्रकाशित विचार उनके निजी हैं.)