केंद्र सरकार ने टूटे चावल पर निर्यात प्रतिबंध हटाया, जानें किन देशों को होता है सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट
केंद्र सरकार ने टूटे चावल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सितंबर 2022 में लगाए गए प्रतिबंध को हटा लिया है. पहले, गैर-बासमती सफेद चावल पर भी प्रतिबंध हटाया गया था. भारत ने 2023-24 में गाम्बिया, बेनिन, सेनेगल और इंडोनेशिया जैसे देशों को 194.58 मिलियन डॉलर का टूटा चावल निर्यात किया.
Broken Rice: केद्र सरकार ने टूटे चावल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए इसके निर्यात पर प्रतिबंध हटा लिया है. यह प्रतिबंध सितंबर 2022 में लगाया गया था. विदेश व्यापार महानिदेशालय ने एक अधिसूचना में कहा है कि टूटे चावल की निर्यात नीति को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित से मुक्त में संशोधित किया गया है. निर्यातकों ने पहले सरकार से इन्वेंट्री में वृद्धि के कारण शिपमेंट की अनुमति देने का आग्रह किया था.
पीटीआई के मुताबिक, पिछले साल, सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के विदेशी शिपमेंट पर 490 अमेरिकी डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को हटा दिया था और इस किस्म के शिपमेंट पर पूर्ण प्रतिबंध हटा लिया था. ये उपाय ऐसे समय में किए गए हैं जब देश के सरकारी गोदामों में चावल का पर्याप्त स्टॉक है और खुदरा कीमतें भी नियंत्रण में हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध से खाद्यान्न आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करने के कारण निर्यात प्रतिबंध लगाया था.
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किन देश को किया निर्यात
हालांकि निर्यात पर प्रतिबंध था, लेकिन सरकार ने अनुरोध के आधार पर मित्र और जरूरतमंद देशों को शिपमेंट की अनुमति दी. 2023-24 में भारत ने गाम्बिया, बेनिन, सेनेगल और इंडोनेशिया जैसे देशों को 194.58 मिलियन अमरीकी डॉलर का टूटा चावल निर्यात किया. 2022-23 में यह 983.46 मिलियन अमरीकी डॉलर और 2021-22 में 1.13 बिलियन अमरीकी डॉलर था.
टूटे हुए चावल की कीमत
चावल के एक प्रमुख निर्यातक ने कहा कि भारतीय टूटा हुआ चावल वर्तमान में 330 डॉलर प्रति मीट्रिक टन की दर से उपलब्ध है, जबकि वियतनाम, म्यांमार और पाकिस्तान जैसे प्रतिद्वंद्वी आपूर्तिकर्ताओं से यह लगभग 300 डॉलर प्रति मीट्रिक टन है. हालांकि, इन प्रतिस्पर्धी देशों के पास सीमित स्टॉक है. जैसे-जैसे उनके स्टॉक कम होते जाएंगे, खरीदार भारत की ओर रुख करेंगे और आने वाले महीनों में निर्यात में तेजी आएगी.
भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, 1 फरवरी तक चावल के राज्य भंडार, जिसमें बिना पिसे हुए धान भी शामिल है, कुल 67.6 मिलियन टन था, जबकि सरकार का लक्ष्य 7.6 मिलियन टन था.
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