केंद्र ने ‘ऑर्गेनिक कार्बन एनहांसर’ को फर्टिलाइजर के रूप में दी पहचान, अब जैविक खाद को मिलेगा बढ़ावा

भारत वर्तमान में हर साल लगभग 1 मिलियन मीट्रिक टन एफओएम उत्पादन करता है. लेकिन नए बायोगैस परियोजनाओं के आने से, एफओएम की क्षमता 7 मिलियन टन तक बढ़ जाएगी. वहीं, सरकार का मानना है कि इससे कृषि सेक्टर में जैविक उर्वरकों के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा.

किसानों के लिए खुशखबरी. Image Credit: @tv9

सस्टेनेबल एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 1985 के उर्वरक (अकार्बनिक, जैविक या मिश्रित) (नियंत्रण) आदेश में संशोधन किया है. अब कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG) प्लांट्स से निकलने वाले ‘ऑर्गेनिक कार्बन एनहांसर’ को फर्टिलाइजर के रूप में जाना जाएगा. क्योंकि मंत्रालय ने संशोधन के बाद ‘ऑर्गेनिक कार्बन एनहांसर’ को फर्टिलाइजर के कैटेगरी में शामिल कर दिया है.

सरकार का मानना है कि इससे कृषि सेक्टर में जैविक उर्वरकों के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही CBG संयंत्रों के विकास के साथ-साथ देश के विकास को मजबूती मिलेगी. यह कदम जैविक खेती को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगा. इस संशोधन को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत एसओ 897(ई) के माध्यम से अधिसूचित किया गया है. इसके अलावा, सरकार ने जैविक कार्बन बढ़ाने वाले पदार्थों के लिए नियमों और वर्गीकरण को स्पष्ट करने के लिए मौजूदा आदेश में अनुसूची VIII भी पेश की है.

ऑर्गेनिक कार्बन एनहांसर का मतलब

भारत के राजपत्र में जारी अधिसूचना के अनुसार, “ऑर्गेनिक कार्बन एनहांसर” का मतलब कंप्रेस्ड बायो गैस प्लांट्स से उत्पादित किसी भी जैविक पदार्थ से है, जो कि फर्मेंटेशन प्रक्रिया द्वारा मुख्य उत्पाद या उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित किया जाता है. साथ ही अधिसूचना में कहा गया है कि यह जैविक उर्वरक है जो मिट्टी में जैविक कार्बन को बढ़ाता है या बनाए रखता है. इससे मिट्टी और पौधों की वृद्धि पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है.

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भारतीय बायोगैस एसोसिएशन (आईबीए) ने सरकार कहा है कि सरकारी उर्वरक विपणन कंपनियों को “फर्मेंटेड ऑर्गेनिक खाद (एफओएम) के वितरण का प्रबंधन करना चाहिए, जिससे भारत में बायोगैस क्षेत्र के विकास में सीधे मदद मिलेगी.

देश में एफओएम का उत्पादन

आईबीए के अनुसार, भारत वर्तमान में लगभग 1 मिलियन मीट्रिक टन एफओएम प्रति वर्ष (एमएमटीए) का उत्पादन करता है. लेकिन नए बायोगैस परियोजनाओं के आने से, एफओएम की क्षमता 7 एमएमटीए तक बढ़ जाएगी, जो राजस्थान जैसे पूरे राज्य की उर्वरक की जरूरतों को पूरा कर सकती है. यह बायोगैस क्षेत्र के विकास के लिए एक बड़ा अवसर है और भारत को अधिक टिकाऊ और जैविक उर्वरकों की ओर बढ़ने में मदद कर सकता है.

क्या कहते हैं संजय गंजू

इंडियन फेडरेशन ऑफ ग्रीन एनर्जी (आईएफजीई) के महानिदेशक संजय गंजू ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि उनका संगठन सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि किसानों को मदद मिल सके. साथ ही मिट्टी का प्रबंधन सुधरे और सीबीजी उद्योग को बढ़ावा मिले.

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