बिहार के किसान करेंगे चाय की खेती, सरकार फ्री में दे रही लाखों रुपये; फटाफट यहां करें अप्लाई

Chai vikas yojana: किशनगंज जिला प्राकृतिक रूप से बहुत ही सुन्दर है. पश्चिम बंगाल, नेपाल और बांग्लादेश से इसकी सीमाएं लगती हैं. किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड के एक गांव में साल 1933 में पहली बार चाय की खेती प्रयोग के तौर पर शुरू की गई थी.

बिहार में चाय की खेती पर मिलेगी सब्सिडी. Image Credit: Freepik

Chai vikas yojana: लोगों को लगता है कि बिहार के किसान केवल धान-गेहूं की ही खेती करते हैं. लेकिन ऐसी बात नहीं है. दार्जिलिंग, असम और हिमाचल प्रदेश की तरह बिहार के किसान चाय भी उगाते हैं. यहां के किशनगंज जिले और आसपास के इलाकों में चाय के कई बागान हैं. इससे किसानों की अच्छी कमाई हो रही है. यही वजह है कि बिहार सरकार प्रदेश में चाय की खेती को प्रोत्साहित कर रही है. इसके लिए सरकार ने किसानों को सब्सिडी देने का फैसला किया है.

किशनगंज के चाय बागान को बिहार की शान कहा जाता है. इस जिले में कई खूबसूत चाय के बागान हैं. अभी उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग की ओर चाय की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी दी जा रही है. दरअसल, सरकार किशनगंज के अलावा अररिया, सुपौल, पूर्णिया और कटिहाल जिले में भी चाय के रकबे को बढ़ाना चाहती है. इसके लिए वह ‘चाय विकास योजना’ के तहत 2.47 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता राशि देने का फैसला किया है. किसान सब्सिडी से संबंधित अधिक जानकारी के लिए horticulture.bihar.gov.in पर विजिट कर सकते हैं.

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15000 एकड़ में फैला है चाय का रकबा

किशनगंज जिला प्राकृतिक रूप से बहुत ही सुन्दर है. पश्चिम बंगाल, नेपाल और बांग्लादेश से इसकी सीमाएं लगती हैं. यह जिला तेजी से चाय केंद्र के रूप में उभर रहा है. साल 2023 के आंकड़े के मुताबिक, किशनगंज जिले में करीब 15000 एकड़ में चाय के बागान हैं और इससे 200 किसान जुड़े हुए हैं. कहा जाता है कि किशनगंज की चाय की खुशबू की बात ही अलग है. लेकिन इसके बावजूद भी असम और दार्जिलिंग चाय की तरह इसको पहचान नहीं मिल पाई.

किशनगंज में टी प्रोसेसिंग प्लांट नहीं होने के चलते यहां के किसानों को उतना अधिक मुनाफा नहीं मिल पा रहा है. खास कर चाय की पत्तियों को प्रोसेस करने के लिए पश्चिम बंगाल भेजा जाता है. कृषि विभाग के अधिकारियों की के मुताबिक, किशनगंज के पोठिया, ठाकुरगंज, बहादुरगंज और दिघलबैंक प्रखंड में सबसे अधिक चाय के बागान हैं, क्योंकि यहां की मिट्टी और जलवायु चाय बागान के लिए बहुत उपयुक्त हैं.

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1933 से हो रही है चाय की खेती

ऐसे किशनगंज में चाय की खेती का इतिहास बहुत पुराना है. यहां पर देश की आजादी से बहुत पहले से चाय की खेती की जा रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड के एक गांव में साल 1933 में पहली बार चाय की खेती प्रयोग के तौर पर शुरू की गई. करीब 5 एकड़ जमीन पर चाया बागान के साथ इसकी शुरुआत हुई. लेकिन धीरे-धीरे उत्पादन बढ़ने से चाय का रकबा भी बढ़ता चला गया. हालांकि, हाल के वर्षो में एक-दो चाय प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाई गई है, जो बहुत कारगर नहीं है.

सब्सिडी के लिए कैस करें आवेदन

  • सब्सिडी का फायदा उठाने के लिए किसान सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइड horticulture.bihar.gov.in पर जाएं.
  • आधिकारिक वेबसाइट का होम पेज खुलते ही ‘चाय विकास योजना’ का विकल्प दिखाई देगा.
  • इसके बाद आप चाय विकास योजना पर क्लिक करें.
  • यहां क्लिक करने के बाद आपके सामने रजिस्ट्रेशन फॉर्म खुलकर आ जाएगा.
  • इसके बाद मांगी गई सारी जानकारी को ध्यानपूर्वक और सही-सही भर दें.
  • सभी डिटेल्स भरने के बाद आपका अप्लीकेशन सक्सेसफुली जमा हो जाएगा.