काजू की खेती के लिए फेमस है ये राज्य, बहुत सस्ते में मिल जाता है ड्राई फ्रूट
सर्दी के मौसम में सबसे अधिक लोग ड्राई फ्रूट्स का सेवन करते हैं. इसके चलते मार्केट्स में ड्राई फ्रूट्स की कीमत बढ़ जाती है. लेकिन देश में एक ऐसा भी राज्य है, जहां काजू बहुत ही सस्ता बिकता है. लोग झोला भरकर काजू खरीदते हैं.
दिसंबर महीने की शुरुआत के साथ ही भीषण सर्दी ने दस्तक दे दी है. इसके साथ ही ड्राई फ्रूट्स की मांग बढ़ गई है. अगर आप भी इस सर्दी में ड्राई फ्रूट्स खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बहुत ही जरूरी है. आज हम भारत के कुछ ऐसे ड्राई फ्रूट्स मार्केट की बात करेंगे, जहां काजू बहुत ही सस्ता बिकता है. इन मार्केट्स से पूरे देश में ड्राई फ्रूट्स की सप्लाई होती है. खास बात यह है कि इन मार्केट में बिकने वाले ड्राई फ्रूट्स की क्वालिटी और स्वाद भी उमदा होता है.
ऐसे अमूमन काजू 700 से 1000 रुपये किलो के बीच बिकता है. लेकिन झारखंड में कुछ ऐसे मार्केट्स हैं, जहां पर काजू 500 से 600 रुपये किलो बिकते हैं. इसके चलते दूसरे राज्य से भी लोग यहां पर काजू की खरीदारी करने आते हैं. इसके आलाव बादाम भी सस्ता बिकता है. इसकी कीमत भी अन्य राज्यों के मुकाबले काफी कम होता है.
मार्केट में बेहतरीन क्वालिटी के काजू की कीतम
दरअसल, हम बात कर रहे हैं झारखंड के जामताड़ा जिले की. इस जिले को काजू नगरी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां पर किसान बड़े स्तर पर काजू की खेती करते हैं. कहा जाता है कि जिले में हर साल हजारों टन काजू की पैदावार होती है. इसके चलते यहां पर ड्राई फ्रूटस का रेट बहुत ही सस्ता रहता है. अभी मार्केट बेहतरीन क्वालिटी के काजू की कीतम 800 से 1000 रुपये किलो के बीच है. लेकिन दोनों जिले के मार्केट्स में आप काजू 500 से 600 रुपये किलो तक खरीद सकते हैं.
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50 एकड़ में किसान करते हैं काजू की खेती
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जिले के नाला गांव में करीब 50 एकड़ जमीन पर किसान काजू की खेती करते हैं. इस गांव में काजू के बड़े-बड़े बागान हैं. इसके चलते यहां किसान बहुत ही सस्ते दर पर काजू बेचते हैं. इसके अलावा दुमका जिले में भी किसान काजू की खेती करते हैं. इस जिले के मार्केट्स में भी काजू बहुत ही सस्ते भाव में बिकता है.
जलवायु और मिट्टी काजू की खेती के अनुकूल
एक्सपर्ट का कहना है कि इन दोनों जिलों की जलवायु और मिट्टी काजू की खेती के लिए अनुकूल है. हालांकि, ऑर्गेनाइज्ड मार्केट चेन नहीं होने के चलेत किसानों को उनकी फसल का उचित रेट नहीं मिल पाता है. इसके अलावा जिले में कोई काजू प्रोसेसिंग प्लांट भी नहीं है. इसके चलते भी किसानों को उनकी उपज का उचित रेट नहीं मिल पा रहा है.
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