झारखंड के इस गांव में प्रीमियम टमाटर उगाते हैं किसान, सालाना 1.5 करोड़ की है इनकम
पोलपोल गांव में यादव और राजपूत समुदाय की बहुलता है. नवंबर से फरवरी के बीच पीक सीजन के दौरान यह गांव व्यापारियों का केंद्र बन जाता है. प्रीमियम गुणवत्ता वाले टमाटर की खरीद करने के लिए बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों के व्यापारियों यहां आते हैं.
झारखंड के चतरा जिले में किसानों की टमाटर की खेती से किस्मत बदल गई है. खास कर यहां के कान्हाचट्टी प्रखंड स्थित पोलपोल गांव के किसान टमाटर की खेती से लखपति बन गए हैं. पोलपोल गांव के किसान इतने बड़े स्तर पर बेहतरीन क्वालिटी के टमाटर की खेती करते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर इनकी अलग पहचान बन गई है. ऐसे इस गांव के किसान टमाटर से सालाना करीब 1.5 करोड़ रुपये का कारोबार करते हैं. इसके चलते गांव में 500 मजदूरों को रोजगार भी मिल जाता है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पोलपोल गांव में यादव और राजपूत समुदाय की बहुलता है. नवंबर से फरवरी के बीच पीक सीजन के दौरान यह गांव व्यापारियों का केंद्र बन जाता है. प्रीमियम गुणवत्ता वाले टमाटर की खरीद करने के लिए बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों के व्यापारियों यहां आते हैं. किसान मनेश यादव ने कहा कि पहले किसान अपनी उपज बेचने के लिए बाजार जाते थे. अब देश भर से व्यापारी गांव आते हैं. इससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हो गई है और किसानों को अधिकतम लाभ मिल रहा है.
100 एकड़ में टमाटर की खेती
किसान मनेश यादव का कहना है कि जब से गांव में टमाटर की खेती शुरू हुई है, तब से क्षेत्र से मजदूरों का पलायन रूक गया है. दिहाड़ी मजदूर प्रभु यादव ने कहा कि मैं अब टमाटर के खेतों में काम करके अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकता हूं. युवा किसान अभिषेक कुमार ने बताया कि टमाटर की खेती 100 एकड़ में फैली है, जिसमें चार दर्जन किसान शामिल हैं. इस सफलता ने पड़ोसी गांवों को टमाटर की खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया है, जिससे पूरे ब्लॉक में खेती का क्षेत्र 1,000 एकड़ से अधिक हो गया है. खेती का यह चक्र मानसून के मौसम से शुरू होकर छह महीने तक स्थिर रोजगार प्रदान करता है.
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टमाटर की खेती से बंपर कमाई
किसान प्रभु (50) ने कहा कि पहले मैं अहमदाबाद स्थित एक कपड़ा फर्म में काम करता था. मैं 20,000 रुपये प्रति माह कमाता था, लेकिन मुझे पारिवारिक जीवन से समझौता करना पड़ा. मैं कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान घर लौट आया और टमाटर के खेत में काम करना शुरू कर दिया. आज मैं धान और गेहूं के अलावा सब्जियां उगाता हूं और अच्छा कारोबार कर रहा हूं.
क्या कहती हैं सुमित्रा देवी
प्रभु की पत्नी मीना देवी ने कहा कि मैं अपने पति और दो बेटों के साथ खुशहाल पारिवारिक जीवन जी रही हूं. पहले मुझे परिवार की देखभाल के साथ-साथ खेतों में भी काम करना पड़ता था, लेकिन अब मेरे पति हमारी पैतृक संपत्ति की देखभाल में मेरी मदद करते हैं, जिसमें खेत भी शामिल हैं. एक अन्य गृहिणी सुमित्रा देवी ने कह कि मैंने अपने पति अविनाश यादव को, जो मुंबई स्थित एक रेस्तरां में काम करते थे, पिछले साल घर लौटने के लिए मजबूर किया. आज, वे टमाटर के खेत में काम करते हैं और उन्होंने एक किराने की दुकान खोली है, जिसका प्रबंधन मैं करती हूं.
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