DAP के आयात में 58 फीसदी की बढ़ोतरी, अब खत्म होगी खाद की किल्लत

उद्योग के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि जब तक डीएपी के इस्तेमाल को कम करने के लिए कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक रासायनिक उर्वरक उपलब्ध कराना होगा और यह बिक्री कम करने का तरीका नहीं है.

अब किसानों को समय पर मिलेगी पर्याप्त खाद. (सांकेतिक फोटो) Image Credit: Getty Images Creative

रबी फसल की बुवाई कर रहे किसानों को प्रयाप्त मात्रा में डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) नहीं मिल रहा है. किसानों को एक बोरी डीएपी के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है. खास कर पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में डीएपी की कुछ ज्यादा ही किल्लत हो गई है. लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि डीएपी के आयात में बढ़ोतरी हुई है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, डीएपी का आयात पिछले साल के मुकाबले अक्टूबर 2024 में 58.6 फीसदी बढ़कर 8.17 लाख टन हो गया, जो पिछले साल इसी अवधि में 5.15 लाख टन था. लेकिन फिर भी यह 18.69 लाख टन की मांग से कम रहा.

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, नए आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि पिछले महीने डीएपी की बिक्री 11.48 लाख टन दर्ज की गई, जो एक साल पहले 13.64 लाख टन से भी कम है. कृषि वैज्ञानिक एस के सिंह ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार सरसों के मामले में सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) डीएपी का विकल्प है, लेकिन गेहूं की फसल के मामले में इसका कोई विकल्प नहीं है. ऐसे में किसान डीएपी की कमी के कारण समान उपज पाने के लिए अधिक कीमत पर कॉम्प्लेक्स खरीद रहे हैं.

इन राज्यों में खत्म हुई गेहूं की बुवाई

सिंह ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में गेहूं की बुवाई के लिए सामान्य समय पहले ही समाप्त हो चुका है. इसलिए अब से कोई भी बुवाई उपज को कम कर सकती है. 30 अक्टूबर को उर्वरक मंत्रालय ने पंजाब में डीएपी की कमी पर मीडिया रिपोर्टों को भ्रामक, गलत और तथ्यहीन बताया था. इसने कहा कि लाल सागर संकट के कारण डीएपी का आयात प्रभावित हुआ और स्वीकार किया कि यह संकट जनवरी से जारी है.

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कितनी है डीएपी की कीमत

इसने यह भी दावा किया कि सरकार ने 50 किलोग्राम के बैग के लिए डीएपी की कीमत 1,350 रुपये है. जब सरकार को जनवरी में ही पता था कि पारगमन अवधि में देरी हो रही है, तो योजना उसी के अनुसार बनाई जानी चाहिए थी, ताकि उर्वरक समय पर पहुंच सके. उद्योग के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि जब तक डीएपी के इस्तेमाल को कम करने के लिए कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक रासायनिक उर्वरक उपलब्ध कराना होगा और यह बिक्री कम करने का तरीका नहीं है.

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