सिविल इंजीनियर ने छत पर शुरू की ड्रैगन फ्रूट की खेती, इस तकनीक का किया इस्तेमाल

सिविल इंजीनियर रिफे ने कहा कि ड्रैगन फ्रूट के अलावा, वे विदेशी फलों जैसे रामबुतान, मैंगोस्टीन, अबिउ, वियतनाम सुपर-अर्ली जैकफ्रूट, ताइवान रेड लेडी पपीता, हॉग प्लम और अन्य किस्मों की खेती कर रहे हैं. वे 500 लीटर के ड्रम का उपयोग करके खीरा, लौकी और भिंडी जैसी स्थानीय सब्जियां भी उगाते हैं.

घर की छत पर शुरू करें ड्रैगन फ्रूट की खेती. (सांकेतिक फोटो) Image Credit: tv9

खेती में रोज नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है. इससे किसी भी फसल की खेती करना पहले से आसान हो गया है. यही वजह है कि अब लोग आलू, फूलगोबी, गाजर, मूली, टमाटर और बैंगन सहित अधिकांश बागवानी फसलों की खेती घर की छत पर कर रहे हैं. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अब ड्रैगन फ्रूट की भी खेती छत पर शुरू हो गई है. ऐसा कर दिखाया है मंगलुरु के एक दंपति ने. ऐसे में मंगलुरु का यह दंपति लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गया है.

दरअसल, ड्रैगन फ्रूट एक विदेशी फल है. पिछले कुछ सालों से ही भारत में इसकी खेती की जा रही है. बिहार, यूपी, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में किसान इसकी बड़े स्तर पर खेती कर रहे हैं. लेकिन अधिकांश किसान खेत में ही ड्रैगन फ्रूट को उगा रहे हैं. पर मंगलुरु का दंपति ने जो कमाल किया है, वह किसी आश्चर्य से कम नहीं है. खास बात यह है कि दंपति उल्लाल के पास अंबलमोगरू का रहने वाला है. पति का नाम अहमद केबी रिफे है. जबकि, पत्नी का नाम साजिदा है.

इस तकनीक से कर रहे हैं खेती

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अहमद केबी रिफे एक सिविल इंजीनियर हैं, लेकिन वे अब घर की छत पर ड्रैगन फ्रूट की खेती भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी साजिदा के सहयोग से वे ड्रैगन फ्रूट की खेती कर पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि साजिदा ने पहले स्क्रैप डीलरों से 25 से 50 लीटर के ड्रम खरीदा और उसे सही तरीके से काटगर गमले का रूप दे दिया. फिर, उसमें मिट्टी भर कर ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू कर दी.

ड्रैगन की इन किस्मों की खेती

खास बात यह है कि उन्होंने तीन तरह के ड्रैगन फ्रूट उगाए हैं, जिसमें मैक्सिकन रेड, मैक्सिकन व्हाइट और इजरायल येलो किस्म का नाम शामिल है. रिफे ने बताया कि हम हमेशा से कृषि क्षेत्र में काम करना चाहते थे. तीन साल पहले जमीन खरीदने के बाद, हमने शुरू में चमेली की खेती करने की योजना बनाई थी. हालांकि, मेरे ससुर अब्दुल खादर इरा, जो एक कृषि विशेषज्ञ हैं, ने कम रखरखाव के कारण ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का सुझाव दिया. ऐसे में जगह की कमी के चलते छत पर ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू कर दी. सात महीनों के भीतर ही पौधों ने फल देना शुरू कर दिया. वहीं, एक साल बाद बंपर उपज मिलने लगी.

भारी बारिश से पैदावार प्रभावित

अहमद केबी रिफे ने कहा कि साजिदा छत पर लगे बगीचे की देखरेख करती हैं, जिसमें करीब 75 ड्रैगन फ्रूट के पौधे हैं. मैक्सिकन किस्म खास तौर पर स्वादिष्ट होती है. पौधे पूरी धूप में पनपते हैं और उन्हें कम से कम पानी की जरूरत होती है. प्रत्येक ड्रम में तीन पौधे लगाए गए हैं. हालांकि, इस साल की भारी बारिश ने पैदावार को थोड़ा प्रभावित किया है.

इस वजह से मवेशी नहीं करते हैं बर्बाद

रिफे ने कहा कि ड्रैगन फ्रूट के अलावा, वे विदेशी फलों जैसे रामबुतान, मैंगोस्टीन, अबिउ, वियतनाम सुपर-अर्ली जैकफ्रूट, ताइवान रेड लेडी पपीता, हॉग प्लम और अन्य किस्मों की खेती कर रहे हैं. वे 500 लीटर के ड्रम का उपयोग करके खीरा, लौकी और भिंडी जैसी स्थानीय सब्जियां भी उगाते हैं. साजिदा महिलाओं को छत पर खेती करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं. उन्होंने कहा कि ड्रैगन फ्रूट की खेती को मवेशी भी बर्बाद नहीं करते हैं. कांटे होने के चलते वे इसे खाने से कतराते हैं.