दुनियाभर में 75% किसानों पर जलवायु परिवर्तन की मार, भारत का अन्नदाता और भी ज्यादा परेशान: रिपोर्ट
सर्वेक्षण से पता चलता है कि दुनियाभर में अस्थिर मौसम के कारण होने वाली घटनाओं से 10 में से 6 किसानों को काफी घाटा हुआ है जबकि 32% ने बढ़ती लागत और लेबर की कमी को चुनौती बताया.
दुनियाभर और भारत में जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के अब गंभीर प्रभाव कृषि पर दिखने लगे हैं. हाल में आए 2024 फार्मर वॉयस सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 75% किसान पहले से ही जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हैं या इसके प्रभावों के बारे में चिंतित हैं, और उनमें से 71% ने पैदावार में कमी को एक प्रमुख चिंता के रूप में बताया है. यह सर्वे बायर की ओर से वैश्विक बाजार रिसर्च कंपनी कायनेटेक ने भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन, जर्मनी, केन्या, यूक्रेन और अमेरिका जैसे देशों में 2000 किसानों के बीच किया है.
जलवायु परिवर्तन का मतलब औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि होना इसकी वजह धरती का लंबे समय तक गर्म होने से है. और यह सब मानवीय गतिविधियों के कारण होता है.
तो किसान इससे निपटने के लिए क्या कर रहे?
सर्वेक्षण से पता चलता है कि दुनियाभर में अस्थिर मौसम के कारण होने वाली घटनाओं से 10 में से 6 किसानों को काफी घाटा हुआ है. इसके समाधान के रूप में, किसान नई टेक्नोलॉजी पर भरोसा कर रहे हैं. 75% किसान जलवायु परिवर्तन से बेहतर ढंग से निपटने के लिए नई तकनीक को अपनाने के लिए तैयार हैं.
भारत के किसानों पर क्या असर?
भारत की बात करें तो सर्वेक्षण से पता चला कि कीटों के हमले के कारण फसल को नुकसान हुआ है, यह भारतीय किसानों की प्राथमिक चिंता है, सर्वेक्षण में शामिल 41% किसानों ने कीटों से फसल के नुकसान के खतरे की जानकारी दी, जिसके कारण किसानों को अधिक खर्च करना पड़ता है.
सर्वेक्षण में शामिल 36% किसानों के लिए अस्थिर मौसम एक बड़ी चिंता है और इसे संभालना मुश्किल है, जबकि ज्यादातर भारतीय किसानों का मानना है कि सरकार को उनकी बात सुननी चाहिए और समाधान करने चाहिए. वहीं 10 में से 9 किसानों ने महसूस किया कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है इसलिए उनकी बात अधिक सुनी जानी चाहिए.
इसके अलावा 36% किसानों के सामने कीटनाशकों की कीमतों में वृद्धि के कारण अपनी फसल को बचाने की लागत चुनौती है, जबकि 32% ने बढ़ती लागत और लेबर की कमी को चुनौती बताया. इसके साथ ही भारतीय किसानों के सामने इनकम में अस्थिरता, फर्टिलाइजर की कीमत, बीज की लागत, नई तकनीकों के बारे में जानकारी और शिक्षा तक पहुंच भी चुनौती है.