किसानों से 2 रुपये किलो टमाटर खरीद रहे व्यापारी, मंडी में आकर 15 गुना अधिक हो जा रही कीमत

कोलार और चिकबल्लापुर में टमाटर की कीमतें 2-5 रुपये प्रति किलो तक गिर गई हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. अधिक उत्पादन, सप्लाई बढ़ना और घटती क्वालिटी इसकी वजह हैं. वहीं बेंगलुरु में टमाटर 25 से 30 रुपये बिक रहा है, जिसका कारण व्यापारी ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक खर्च बता रहे हैं.

टमाटर की कीमत में गिरावट. Image Credit: Getty Images Editorial/PTI

Tomato Price Fall: गर्मी के मौसम आते ही नींबू सहित अधिकांश हरी सब्जियां महंगी हो गई हैं. लेकिन टमाटर का रेट लगातार नीचे गिरता जा रहा है. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. वे लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. खास कर कर्नाटक के कोलार जिले में टमाटर बहुत ज्यादा सस्ता हो गया है. यहां किसानों से टमाटर 2 रुपये से 5 रुपये प्रति किलो खरीदा जा रहा है. लेकिन मंडियों में आकर इसकी कीमत 25 से 30 रुपये किलो हो जा रही है.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, कोलार एपीएमसी में 15 किलो की टमाटर की पेटी 30 रुपये से 200 रुपये तक बिक रही है. यानी यह 2 रुपये से 13 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. लेकिन किसानों का कहना है कि सिर्फ एक पेटी को तोड़ने और मंडी तक पहुंचाने में ही 70 का खर्च आ जाता है. अगर मंडी में 30 से 50 रुपये मिल रहे हैं, तो हर पेटी पर 20 का नुकसान होता है. ऐसे में मंडी ले जाना भी घाटे का सौदा है. कोलार और चिकबल्लापुर, दोनों जिलों में किसान इसी संकट से जूझ रहे हैं.

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इस बार उत्पादन ज्यादा हुआ है

पिछले कुछ सालों में जहां टमाटर रिकॉर्ड दामों पर बिके थे, वहीं अब उनकी कीमतें सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं. किसानों का कहना है कि टमाटर के दाम पिछले छह महीनों से लगातार गिर रहे हैं. हालांकि किसानों का कहना है कि इसके पीछे कई वजहें हैं. उनके मुताबिक, इस बार उत्पादन ज्यादा हुआ है. साथ ही पड़ोसी राज्यों से भी सप्लाई बढ़ी है. इसके अलावा टमाटर की क्वालिटी पहले जैसी नहीं रही. इसके चलते कीमतें गिर रही हैं.

मंडियों में क्यों महंगा हो गया टमाटर

कर्नाटक राज्य किसान संघ, कोलार की अध्यक्ष नलिनी गौड़ा का कहना है कि अब टमाटर का शेल्फ लाइफ कम हो गया है. इस कारण निर्यात लगभग बंद हो गया है. पहले हम पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों में टमाटर भेजते थे. लेकिन अब दो-तीन दिन की ट्रांसपोर्ट में ही टमाटर सड़ जाते हैं. पिछले पांच सालों से ‘बिंगी’ (पत्तियों का सिकुड़ना) बीमारी की वजह से भी फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ा है. जहां एक तरफ किसान टमाटर की गिरी हुई कीमतों से परेशान हैं, वहीं बेंगलुरु की मंडियों में टमाटर 25-30 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं. इस फर्क को लेकर व्यापारियों का कहना है कि इसके पीछे ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक खर्चे हैं.

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