अब AI तकनीक से होगी खेती, कम लागत में बढ़ जाएगी पैदावार, मजदूरों की भी नहीं पड़ेगी जरूरत
ऑटोग्रो सिस्टम के आने से कृषि सेक्टर में एक नई क्रांति आ सकती है. यह सिस्टम यूजर्स के अनुकूल है. अब कोई भी खेती कर सकता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि ऑटोग्रो से न केवल पानी की कमी दूर करने में मदद मिलेगी, बल्कि श्रम की कमी जैसी चुनौतियों का समाधान होगा.
आने वाले दिनों में खेती कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) की मदद से होगी. इससे खेती-किसानी में मजदूरों की जरूरत बहुत कम हो जाएगी. ऐसे में इनपुट लागत में भी गिरावट आएगी. दरअसल, बेंगलुरु के शोधकर्ताओं की एक टीम ने ‘ऑटोग्रो’ नामक एक इनोवेटिव फार्मिंग सिस्टम डेवलप किया है. इसे AI और ML के माध्यम से कृषि सेक्टर में क्रांति लाने के लिए डिजाइन किया गया है. कहा जा रहा है कि यह पूरी तरह से ऑटोमेटिक सिस्टम है. यानी अब पौधों की देखरेख करने के लिए इंसान की न के बराबर जरूरत पड़ेगी. साथ ही इनपुट लागत में गिरावट आने से किसानों की कमाई भी बढ़ेगी.
बैंगलोर मिरर के मुताबिक, जिन क्षेत्रों पानी और मजदूरों की कमी है, वहां के किसानों को इस ‘ऑटोग्रो’ से काफी फायदा होगा. खास बात यह है कि इसकी मदद से पहले के मुकाबले 60 फीसदी कम पानी में ही फसलों की सिंचाई हो जाएगी. अगर ‘ऑटोग्रो’ की फीचर्स की बात करें, तो इसमें तीन कॉन्फिगरेशन ऊर्ध्वाधर सेटअप, पोषक तत्व फिल्म तकनीक और ओपन-ग्रो खेती शामिल हैं. इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी बैंगलोर (IIIT-B) में जीएम लैब-एडमिन, पवन पाटिल ने बताया कि हम पौधों की वृद्धि और अन्य फैक्टर्स का विश्लेषण करने के लिए इन सेटअप्स में केस स्टडी कर रहे हैं, जिनमें से सभी को AI और ML-संचालित विश्लेषण इंजन के माध्यम से नियंत्रित और मॉनिटर किया जाता है.
ऑटोग्रो पूरी तरह से ऑटोमेटिक है
टीम में पवन पाटिल, फणी पवन (एमएस बाय रिसर्च) और IIIT-B के डेटा साइंस एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (DSAI) विभाग के प्रोफेसर रमेश केस्तुर शामिल हैं. उनका उद्देश्य व्यक्तियों, विशेषकर महिलाओं को छतों पर खेती करने के लिए सशक्त बनाना है, जिससे वे आसानी से लेट्यूस जैसी पत्तेदार सब्जियां उगा सकें. ऑटोग्रो पूरी तरह से ऑटोमेटिक है. इसके चलते कम से कम मानव श्रम की जरूरत पड़ती है. पाटिल ने कहा कि एक बार बीज बोए जाने के बाद, सिस्टम पानी देने से लेकर पोषक तत्व पहुंचाने तक की पूरी प्रक्रिया का ध्यान रखता है. जब फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है, तो किसानों को AI की मदद से जानकारी मिल जाती है.
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इन लोगों को होगा फायदा
पाटिल ने कहा कि हमने एनालिसिस इंजन पर प्रीडिफाइन्ड डेटा अपलोड किया है. ऑटोग्रो की पेटेंटेड तकनीक इसकी अलग पहचान सुनिश्चित करती है और इसे रिवीजन से बचाती है. पाटिल ने बताया कि यह पहले से ही पेटेंटेड है और कोई भी इसे कॉपी नहीं कर सकता. अब हम विश्लेषण इंजन को बेहतर बनाने के लिए और अधिक डेटा एकत्र करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. ऐसे सिस्टम को सेट करना आसान और सीधा है. अगर सभी उपकरण उपलब्ध हैं तो इसमें केवल तीन दिन लगते हैं. पौधों की वृद्धि अवधि उनकी विशिष्ट जरूरतों पर निर्भर करती है, जिससे सिस्टम विभिन्न फसलों के लिए बहुमुखी हो जाता है. यह विशेष रूप से घरेलू बगीचों और शहरी खेती के लिए आदर्श है, जहां व्यक्ति अपनी ताज़ी उपज उगा सकते हैं.
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