अब फरवरी तक फ्री इंपोर्ट होगा पीली मटर का आयात, बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार का फैसला
साल 2023 से ही दालें महंगी हैं. हालांकि, केंद्र सरकार की कोशिश के बाद दालों के होलसेल रेट में 5 से 20 फीसदी तक गिरावट आई है. लेकिन इसके बावजूद भी रिटेल मार्केट में कीमतें जस के तस हैं. ऐसे इस साल चने के रकबे में बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि नई फसल आने पर कीमतों में गिरावट आ सकती है.
केंद्र सरकार दालों की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए लगातार कोशिश कर रही है. इसी कड़ी में उसने पीले मटर के ड्यूटी फ्री इंपोर्ट को फरवरी तक के लिए बढ़ा दिया है. सरकार को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से दालों की बढ़ती कीमतों पर ब्रेक लगाने में मदद मिलेगी. हालांकि, घरेलू डिमांड को पूरा करने के लिए देश में लगभग 23 लाख टन पीले मटर का आयात किया गया है.
देश के दाल उत्पादन में चने की हिस्सेदारी 50 फीसदी है. इस सीजन में इसकी बुवाई लगभग पुरी हो गई है. एक अधिकारी ने कहा कि हम पीले मटर के ड्यूटी फ्री इंपोर्ट को फरवरी से आगे नहीं बढ़ा सकते हैं, क्योंकि अगले कुछ महीनों में चने की कटाई शुरू हो जाएगी. पिछले साल की तुलना में अब तक चने की बुवाई 2 फीसदी बढ़कर 86 लाख हेक्टेयर हो गई है.
साल 2023 से ही चना है महंगा
अक्टूबर, 2023 से ही चना दाल महंगी है. इसकी खुदरा महंगाई दर तब से ही डबल डिजिट में है. वहीं, नवंबर, 2024 में चने की कीमतों में सालाना आधार पर 20.12 फीसदी की वृद्धि हुई. हालांकि, दालों की कैटेगरी में खुदरा महंगाई दर नवंबर में 11.3 फीसदी से घटकर 5.41 फीसदी हो गई है, क्योंकि कीमतों में नरमी आई है. खास बात यह है कि चना के अलावा अरहर और उड़द जैसी दालों की प्रमुख किस्मों के कम उत्पादन के कारण जून, 2023 से दालों में खुदरा महंगई दरें भी डबल डिजिट में रही हैं. इस बीच, उपभोक्ता मामलों के विभाग ने खुदरा विक्रेताओं से थोक दरों में गिरावट के अनुरूप दालों की कीमतों को कम करने का आग्रह किया है.
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इनकी कीमतों में 20 फीसदी की गिरावट
अधिकारियों ने बताया कि होलसेल मार्केट में पिछले दो महीनों में अरहर, मसूर, चना, मूंग, पीली मटर, उड़द आदि की कीमतों में 5 से 20 फीसदी की गिरावट आई है, लेकिन खुदरा कीमतें स्थिर बनी हुई हैं. कृषि मंत्रालय ने मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत कर्नाटक में 3 लाख टन अरहर दाल की खरीद को भी मंजूरी दे दी है, क्योंकि प्रमुख दालों की शुरुआती फसल आनी शुरू हो गई है. सहकारी नेफेड और एनसीसीएफ द्वारा किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का भुगतान करके एजेंसियों द्वारा खरीद अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में शुरू होगी, जब फसल बाजार में आनी शुरू हो जाएगी. ऐसे एजेंसियों ने पीएसएस संचालन करने के लिए प्रमुख दाल उत्पादक राज्यों में 17 लाख किसानों को पंजीकृत किया है.
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