सरकार ने जमाखोरी रोकने के लिए तय की गेहूं की स्टॉक लिमिट, क्या अब कीमतों में आएगी गिरावट?
खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. यही वजह है कि सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए 31 मार्च 2025 तक लागू गेहूं के स्टॉक की लिमिट को संशोधित करने का फैसला किया.
केंद्र सरकार ने गेहूं की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. उसने कालाबाजारी को रोकने के लिए गेहूं की स्टॉक लिमिट तय कर दी है. सरकार को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से व्यापारी गेहूं की जमाखोरी नहीं कर पाएंगे. इससे रिटेल मार्केट में गेहूं की आवक बढ़ेगी, जिससे कीमतों में गिरावट आ सकती है. हालांकि, अभी गेहूं बहुत महंगा हो गया है, जिससे आटे की कीमतों पर भी असर पड़ा है. अभी रिटेल मार्केट में खुला आटा 40 से 45 रुपये किलो बिक रहा है. इससे आम जनता के किचन का बजट बिगड़ गया है.
खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. यही वजह है कि सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए 31 मार्च 2025 तक लागू गेहूं के स्टॉक की लिमिट को संशोधित करने का फैसला किया. संशोधित मानदंडों के अनुसार, थोक विक्रेताओं को अब 2,000 टन के बजाय 1,000 टन तक गेहूं रखने की अनुमति है. वहीं, खुदरा विक्रेता प्रत्येक आउटलेट के लिए 10 टन के बजाय 5 टन गेहूं रख सकते हैं. जबकि बड़े खुदरा विक्रेता प्रत्येक आउटलेट के लिए 10 टन के बजाय 5 टन गेहूं रख सकते हैं.
सबसे पहले 24 जून को लगाई स्टॉक सीमा
बता दें कि गेहूं पर स्टॉक लिमिट सबसे पहले 24 जून को लगाई गई थी. इसके बाद जमाखोरी और सट्टेबाजी को रोकने के लिए 9 सितंबर को मानदंडों को कड़ा करने के लिए संशोधित किया गया था. मंत्रालय ने कहा कि सभी गेहूं भंडारण संस्थाओं को गेहूं स्टॉक सीमा पोर्टल (https://evegoils.nic.in/wsp/login) पर पंजीकरण करना और हर शुक्रवार को स्टॉक की स्थिति को अपडेट करना आवश्यक है.
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15 दिनों में करना होगा ये काम
मंत्रालय ने कहा कि यदि संस्थाओं के पास निर्धारित लिमिट से अधिक स्टॉक है, तो उन्हें अधिसूचना जारी होने के 15 दिनों के भीतर मात्रा को निर्धारित स्टॉक सीमा तक लाना चाहिए. उसने कहा कि कोई भी संस्था जो पोर्टल पर पंजीकृत नहीं पाई जाती है या स्टॉक सीमा का उल्लंघन करती है, उसके खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत उचित दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. हालांकि, खाद्य मंत्रालय देश में कीमतों को नियंत्रित करने और आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं की स्टॉक स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है.
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