महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार का बड़ा कदम, सस्ता होने लगा गेहूं; जानें आगे की तैयारी

बफर स्टॉक के लिए गेहूं की खरीद कुछ राज्यों में अगले महीने और अन्य राज्यों में 1 अप्रैल से शुरू होगी. पिछले साल केंद्र ने 266.05 लाख टन गेहूं खरीदा था, जिसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात और राजस्थान की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत थी. सरकार ने 2024 में इन पांच राज्यों से 162.1 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था.

गेहूूं की कीमतों में गिरावट शुरू. Image Credit: @tv9

Wheat Price: गेहूं की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. उसने ओपन मार्केट में सेलिंग के लिए गेहूं की मात्रा 1.5 लाख टन से बढ़ाकर 10 लाख कर दिया है. सरकार के इस फैसले से महज 10 दिन में ही असर दिखने लगा. गेहूं की होलसेल रेट में कमी आई है. हालांकि, होलसेल कीमतें अभी भी चालू सीजन के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) 2,425 रुपये प्रित क्विंटल से ऊपर हैं. बफर स्टॉक के लिए गेहूं की खरीद कुछ राज्यों में अगले महीने और अन्य राज्यों में 1 अप्रैल से शुरू होगी.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, जब तक कीमतें MSP स्तर के आसपास नहीं आ जाती हैं, तब तक सरकार के लिए मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से लक्षित मात्रा में खरीद करना मुश्किल होगा. क्योंकि हरियाणा और पंजाब में उच्च मंडी शुल्क के कारण अधिकांश निजी व्यापारी इन दो राज्यों में खरीद करना पसंद करते हैं. एक अधिकारी ने कहा कि सरकार को समानांतर रूप से एक इमरजेंसी योजना तैयार करनी चाहिए कि अगर खरीद 250 लाख टन से कम हो जाती है तो क्या करना है.

ये भी पढ़ें- बिहार के इन जिलों में होगी अंजीर, स्ट्रॉबेरी और नारियल की खेती, मिल रही बंपर सब्सिडी; ऐसे करें अप्लाई

गेहूं की कीमत में गिरावट

बाजार के आंकड़ों के अनुसार, गेहूं की थोक कीमत औसतन 10 फरवरी को 2,967 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई, जो 1 फरवरी को 3,007 रुपये थी. लेकिन उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा रखे गए आंकड़ों से पता चलता है कि यह एक महीने पहले 2,953 रुपये और एक साल पहले 2,764 रुपये से अभी भी अधिक है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी कीमतों का यही रुख रहा. सरकार ने हाल ही में भारतीय खाद्य निगम को प्रोसेसर के लिए साप्ताहिक ई-नीलामी में पेशकश की मात्रा को पहले के 1.5 लाख टन से बढ़ाकर 3 लाख टन करने की अनुमति दी है. दिसंबर 2024 में शुरू हुई ई-नीलामी के बाद से अब तक सरकार करीब 13 लाख टन गेहूं बेच पाई है.

लेकिन, सरकार अच्छी खरीद को लेकर आशावादी है क्योंकि फसल कटाई से ठीक पहले 17 प्रतिशत की हाई महंगाई ने 2023-24 सीजन के लिए खरीद को प्रभावित नहीं किया है, जिसमें पिछले वर्ष (2022-23) की तुलना में करीब 40 प्रतिशत की उछाल देखी गई थी, जब खरीद 16 साल के निचले स्तर 188 लाख टन पर आ गई थी.

केंद्रीय मंत्री ने की राज्यों से चर्चा

केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रल्हाद जोशी पहले ही पांच राज्यों-उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात और राजस्थान के खाद्य मंत्रियों के साथ इन राज्यों में गेहूं की खरीद बढ़ाने पर चर्चा कर चुके हैं. केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा भी खरीद के अनुमान को अंतिम रूप देने और कार्य योजना तैयार करने के लिए जल्द ही सभी गेहूं उत्पादक राज्यों के अधिकारियों के साथ बैठक कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें- गाजियाबाद में मछली और सिंघाड़े की खेती से लखपति बन गई महिला, PM मोदी भी कर चुके हैं तारीफ

पिछले साल गेहूंं की खरीद

पिछले साल केंद्र ने 266.05 लाख टन गेहूं खरीदा था, जिसमें इन पांच राज्यों की संयुक्त हिस्सेदारी 26 प्रतिशत थी. सरकार ने 2024 में इन पांच राज्यों से 162.1 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था, जिसमें से वह करीब 70 लाख टन गेहूं खरीद सकी थी, जो लक्ष्य का करीब 43 फीसदी है. चालू वर्ष में उत्पादन लक्ष्य 115 मिलियन टन (एमटी) रखा गया है, जो फसल वर्ष 2023-24 (जुलाई-जून) के दौरान रिकॉर्ड 113.29 मिलियन टन से अधिक है.