हरियाणा सरकार ने किसानों के हित में लिया बड़ा फैसला, अगले साल से लाखों अन्नदाता को होगा सीधा फायदा
Haryana government: हरियाणा सरकार ने किसानों को बहुत बड़ी खुशखबरी दी है. सराकर ने जौ के लिए औसत उत्पादन सीमा 15 क्विंटल से बढ़ाकर 16 क्विंटल प्रति एकड़ कर दी गई है, चने के लिए इसे 5 क्विंटल से बढ़ाकर 6 क्विंटल प्रति एकड़ कर दिया गया है.
Average crop yield range: हरियाणा सरकार ने बुधवार को कहा कि उसने 2024-25 के लिए रबी फसलों के लिए प्रति एकड़ औसत उत्पादन की सीमा बढ़ा दी है, जिससे किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अधिक उपज बेच सकेंगे. संशोधित सीमा 2025-26 के रबी खरीद सीजन में लागू की जाएगी. आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस कदम से उन किसानों को सीधा फायदा होगा, जो पहले से तय सीमा से अधिक उपज होने के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अपनी फसल नहीं बेच पा रहे थे.
पीटीआई के मुताबिक, सरकार द्वारा गठित एक समिति द्वारा रबी फसलों के लिए उत्पादन सीमा में बदलाव की सिफारिश के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बढ़ी हुई सीमा को मंजूरी दी. जौ के लिए औसत उत्पादन सीमा 15 क्विंटल से बढ़ाकर 16 क्विंटल प्रति एकड़ कर दी गई है, चने के लिए इसे 5 क्विंटल से बढ़ाकर 6 क्विंटल प्रति एकड़ कर दिया गया है. जबकि सूरजमुखी के लिए 8 क्विंटल से बढ़ाकर 9 क्विंटल प्रति एकड़ कर दिया गया है.
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उत्पादन सीमा बढ़ाकर किया 4 क्विंटल
इसके अलावा, ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल के लिए औसत उत्पादन सीमा 3 क्विंटल से बढ़ाकर 4 क्विंटल प्रति एकड़ कर दी गई है. समिति ने मसूर/मसूर के लिए औसत उत्पादन अनुमान भी 4 क्विंटल प्रति एकड़ तय किया है. इससे पहले दाल के लिए कोई सीमा तय नहीं की गई थी. गेहूं के लिए उत्पादन सीमा 25 क्विंटल प्रति एकड़ पर अपरिवर्तित रही. बयान के अनुसार, ये बदलाव औसत पैदावार में वृद्धि के जवाब में किए गए हैं और इस निर्णय से किसानों को काफी लाभ होगा और उन्हें अधिक आर्थिक लाभ मिलेगा.
12 जिलों में गेहूं की फसल को नुकसान
वहीं, बीते दिनों खबर सामने आई थी कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान के लिए किसानों को तत्काल मुआवजा देने की सोमवार को मांग की. हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में तीन दिन से हो रही बारिश और ओलावृष्टि से प्रदेश के 12 जिलों में गेहूं और सरसों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. सरकार को इसके बदले किसानों को उचित मुआवजा देना चाहिए.
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